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________________ २४२ आयारचूला कारवेज्जा, णेवण्णं पाणाइवायं करतं समणुजाणेज्जा जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं-मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि ।। अहिंसामहव्वयस्स भावणा-पदं ४४. तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति। तत्थिमा पढमा भावणा-इरियासमिए से णिग्गंथे, णो इरियाअसमिए' त्ति। केवली बया-इरियाअसमिए से णिग्गंथे. पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताई अभिहणेज्ज वा, वत्तेज्ज वा, परियावेज्ज वा, लेसेज्ज वा, उद्दवेज्ज वा। इरियासमिए से णिग्गंथे, णो इरियाअसमिए त्ति पढमा भावणा ॥ ४५. अहावरा दोच्चा भावणा-मणं परिजाणाइ से णिग्गंथे, जे य मणे पावए सावज्जे सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेदकरे अधिकरणिए' पाओसिए, पारिताविए पाणाइवाइए भूओवघाइए-तहप्पगारं मणं णो पधारेज्जा। मणं परिजाणाति से णिग्गंथे, 'जे य मणे अपावए' त्ति दोच्चा भावणा॥ अहावरा तच्चा भावणा-वइं परिजाणइ से णिग्गंथे, जा य वई पाविया सावज्जा सकिरिया अण्हयकरा छेयकरा भेदकरा अधिकरणिया पाओसिया पारिताविया पाणाइवाइया° भूओवघाइया-तहप्पगारं वइं णो उच्चारिज्जा। जे वई परिजाणइ से णिग्गर्थ, जाय वई अपावियात्त तच्चा भावणा।। ४७. अहावरा चउत्था भावणा-आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गंथे, णो आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए । केवली बूया-आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए से णिग्गंथे पाणाइं भूयाइं जीवाइं सत्ताइं अभिहणेज्ज वा', 'वत्तेज्ज वा, परियावेज्ज वा, लेसेज्ज वा °, उद्दवेज्ज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गंथे, णो आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए त्ति चउत्था भावणा॥ ४८. अहावरा पंचमा भावणा-आलोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणालोइय पाणभोयणभोई। केवली बूया- अणालोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे पाणाई भूयाइं जीवाइं सत्ताइ अभिहणेज्ज वा', 'वत्तेज्ज वा परियावेज्ज वा, लेसेज्ज वा, उद्दवेज्ज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणालोइयपाणभोयणभोई त्ति पंचमा भावणा ।। १. अइरियासमिए (अ); अणइरियासमिते (छ)। ४. सं० पा०-सकिरिया जाव भूओवघाइया । २. अहिगरणकरे कलहकरे (घ, वृ)। ५. सं० पा०-अभिहणेज्ज वा जाव उद्दवेज्ज । ३. णो जे अमणे पावए (च)। ६. सं० पा०–अभिहणेज्ज वा जाव उद्दवेज्ज। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003551
Book TitleAngsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1108
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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