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________________ चउत्थं अज्झयणं (सम्मत्तं-बीओ उद्देसो) १०. समेमाणा पलेमाणा', पुणो-पुणो जाति पकप्पेति ॥ ११. अहो य राओ य' 'जयमाणे, वीरे" सया आगयपण्णाणे। पमत्ते बहिया पास, अप्पमत्ते सया परक्कमेज्जासि । –त्ति बेमि ॥ बीओ उद्देसो सम्मानाणे अहिंसापरिक्खा-पदं १२. जे आसवा ते परिस्सवा, जे परिस्सवा ते आसवा, जे अणासवा ते अपरिस्सवा, जे अपरिस्सवा ते अणासवा–एए पए संबुज्झमाणे, लोयं च आणाए अभिसमेच्चा पुढो पवेइयं ।। १३. आघाइ" णाणी इह माणवाणं संसारपडिवन्नाणं संबुज्झमाणाणं विण्णाणपत्ताणं । १४. अट्टा वि संता अदुआ पमत्ता॥ १५. अहासच्चमिणं ति बेमि ॥ १६. नाणागमो मच्चुमुहस्स अस्थि, इच्छापणीया वंकाणिकया। ___ कालग्गहीआ णिचए णिविट्ठा, 'पुढो-पुढो जाई पकप्पयंति॥ १७. 'इहमेगेसि तत्थ-तत्थ संथवो भवति । अहोववाइए फासे पडिसंवेदयंति ।। १८. चिठें कूरेहि कहि चिट्ठ परिचिट्ठति ।। अचिट्ठ कूरेहि कम्मेहि, णो चिट्ठ परिचिट्ठति ॥ १६. एगे वयंति अदुवा वि गाणी, पाणी वयंति अदुवा वि एगे॥ १. पालेमाणा (क, च); चलेमाणा (शु)। ° पकप्पेंति (क); ° पकप्पन्ति (ख, ग, च;) २. X (ख, ग, छ)। ° पकुप्पंति (छ)। ३. धीरे (ख, ग, घ, वृ)। 'पुढो पुढो जाइं पकप्पयन्ति' पंक्तिस्थाने ४. जताहि एवं वीरे (चू)। शुबिग संपादिते पुस्तके एतादृश पाठान्तरम्५. अक्खाइ (घ); नागार्जुनीयाः आघाइ धम्म एत्थ मोहे पुणो पुणो, इहमेगेसिं तत्थ तत्थ खलु से जीवाणं, तंजहा-संसारपडिवन्नाणं संथवो भवइ, अहोववाइए फासे पडिसंवेयमणुस्सभवत्थाणं आरंभविणईणंदु दुक्खुव्वे- यन्ति; असुहेसगाणं धम्मसवणगवेसगाणं निक्खित्त- चित्तं कूरेहि कम्मेहि, चित्तं परिविचिट्ठइ, सत्थाण सुस्सूसमाणाणं पडिपुच्छमाणाणं अचित्तं कुरेहिं कम्मेहि, नो चित्तं परिविविन्नाणपत्ताणं (चू, वृ)। चिट्ठइ। ६. अत्रकपदे दीर्घत्वम्, वक्रक =वंका। ८. परिविचिट्ठई (क, चू)। ७. पुढो पुढो जाइं पकरेंति (चू); एत्थ मोहे ६. परिविचिट्ठई (क)। पुणो पुणो, पुढो पुढो जाइं पगप्पेंति (चूपा); १०. X (शु)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003551
Book TitleAngsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1108
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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