SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 360
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 310 अनुयोगहारसूत्र अपर्याप्तक संमूच्छिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण जानना चाहिये / तथा .. पर्याप्तक समूच्छिमवतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त हीन चौरासी हजार वर्ष की जानना चाहिये। गर्भव्युत्क्रान्तिकचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतियंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है। अपर्यातक गर्भव्युत्क्रान्तिकचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की होती है। पर्याप्तक गर्भजचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों को जघन्य स्थिति अन्तर्महूर्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त हीन तीन पल्योपम की जानना चाहिये / / [प्र.] भगवन् ! उरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्ययोनिक जीवों की स्थिति कितनी है ? [उ.] गौतम ! सामान्य रूप में उरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट करोड़ पूर्व वर्ष की है। प्र.] भगवन् ! संमूर्छिमउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही है ? [उ.गौतम ! उनकी जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति त्रेपन हजार वर्ष की है / अपर्याप्तक समूच्छिमउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य तथा उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है। पर्याप्तक समूच्छिमउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त न्यून वेपन हजार वर्ष की है / तथा प्र.] भगवन् ! गर्भजउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही है? [उ.] गौतम ! गर्भजउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति कोटि पूर्व वर्ष की है। ___ गौतम ! अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकउरपरिसर्पस्थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की कही गई है। पर्याप्तक गर्भजउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतियंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त न्यून पूर्वकोटि वर्ष की है। प्र. भगवन् ! भुजपरिसर्पस्थल चरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की है? उ.] गौतम ! सामान्य से तो भुजपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट स्थिति करोड़ पूर्व वर्ष की है। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy