________________ प्रमाणाधिकार निरूपण] पज्जत्तयसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदिय तिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० चउरासीतिवाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई। गम्भवक्कंतियचउप्पयथलयर० जाब गो० ! जह० अंतो० उक्को० तिष्णि पलिओवमाई / अपज्जत्तयगन्भवतियचउप्पय० जाव गो ! जह० अंतो० उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं / पज्जत्तयगम्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव जह० अंतो० उक्को० तिणि पलिम्रोवमाइं अंतोमुहत्तूणाई। उरपरिसप्पथलयरपंचेंदिय तिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतिकालं ठिती पं०? गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुन्चकोडी। सम्मुच्छिमउरपरिसप्प० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० तेवन्नं वाससहस्साई। अपज्जत्तयसम्मुच्छिमउरपरिसम्प० जाव गो० ! जह• अंतो० उक्कोसेणं अंतो० / पज्जतयसम्मुच्छिम उरपरिसप्प० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० तेवण्णं वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई। गमवक्कतियउरपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जह• अंतो० उक्कोसेणं पुन्यकोडी / अपज्जत्तयगम्भवक्कंतियउरपरिसप्प० जाव गोतमा ! जह० अंतो० उक्को अंतो० // पज्जत्तयगम्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को पुवकोडी अंतोमुत्तूणा / भुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जह० अंतो उक्कोसेणं पुवकोडी। सम्मुच्छिमभुयपरिसप्प० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साई / अपज्जत्तयसम्मच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० अंतो। पज्जत्तयसम्मच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदिय० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० बायालोसं वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई। गन्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० पुथ्वकोडी। अपज्जत्तयगम्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० अंतोमुहत्तं / पज्जत्तयगब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयर० जाव गो ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहत्तणा। [387-3 प्र.] भगवन् ! चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की होती है ? [387-3 उ. गौतम ! सामान्य रूप में जधन्य स्थिति अन्तर्मुहर्त की और उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम की होती है। गौतम ! संमूच्छिमचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतियंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति चौरासी हजार वर्ष की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org