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________________ प्रमाणाधिकार निरूपण [307 पंचेन्द्रियतिर्यंचों को स्थिति 387. [1] पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० तिणि पलिग्रोवमाई। [387.1 प्र. भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की बताई है ? [387-1 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की होती है / विवेचन-उक्त प्रश्नोत्तर में सामान्य से तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का निर्देश किया है, लेकिन जलचर, स्थलचर और खेचर के भेद से पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीव तीन प्रकार के हैं और ये तीनों प्रकार भी प्रत्येक समुच्छिम तथा गर्भज के भेद से दो-दो प्रकार के हैं / अतएव अब इन प्रत्येक की स्थिति का पृथक्-पृथक् कथन करते हैं। जलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचों की स्थिति [2] जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाब गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुन्वकोडी। सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिकखजोणियाणं जाव गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी। अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गोयमा ! जह• अंतो. उक्कोसेणं अंतो०। पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहत्तणा। गल्भवतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जह• अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुश्वकोडी। अपज्जत्तयगम्भवक्कंतियजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाण जाव गो० ! जह० अंतो० उक्को. अंतो० / पज्जत्तयगम्भवक्कतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गोयमा ! जह० अंतो० उक्को० पुश्वकोडी अंतोमुत्तूणा। [387-2 प्र.] भगवन् ! जलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितनी कही गई है ? [387-2 उ.] गौतम ! उनकी जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण की होती है तथा संमूच्छिमजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीव की जघन्य स्थिति अन्तर्महूर्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि वर्ष की होती है। अपर्याप्तक समूर्छिमजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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