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________________ प्रमाणाधिकार निरूपण] [289 समयसमूहनिष्पन्न कालविभाग 367. असंखेज्जाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा आवलिय ति पवुच्चइ / संखेज्जाओ आवलियाओ ऊसासो / संखेज्जाओ आवलियाओ नोसासो। हटुस्स अणवगल्लस्स निरुवकिटुस्स जंतुणो। एगे ऊसास-नीसासे एस पाणु ति बुच्चति / / 104 / / सत्त पाणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे। लवाणं सत्तहत्तरिए एस मुहुत्ते वियाहिए // 105 // तिणि सहस्सा सत्त यःसयाणि तेहरिं च उस्सासा / एस मुहुत्तो भणियो सहिं अगंतनाणोहिं / / 106 // एतेणं मुहत्तपमाणेणं तीसं मुहत्ता अहोरत्ते, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिष्णि उऊ अयणं, दो अयणाई संवच्छरे, पंचसंवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससताई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससतसहस्सं, चउरासोई वाससयसहस्साई से एगे पुवंगे, चउरासीति पुव्वंगसतसहस्साइं से एगे पुग्वे, चउरासीई पुबससयहस्साई से एगे तुडियंगे, चउरासीइं तुडियंगसयसहस्साई से एगे तुडिए, चउरासीइं तुडियसयसहस्साई से एगे अडडगे, चउरासोई अडडंगयससहस्साई से एगे अडडे, चउरासीई अडडसयसहस्साइं से एगे अववंगे, चउरासीई प्रववंगसयसहस्साइं से एगे प्रबवे, चउरासोति अबक्सतसहस्साइं से एगे हूहुयंगे, चउरासीई हहुयंगसतसहस्साइं से एगे हहए, एवं उप्पलंगे उपले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अत्यनिउरंगे अथनिउरे अउयंगे अउए उयंगे णउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिया, चउरासीति चूलियासत सहस्साई से एगे सोसरहेलियंगे, चउरासोति सीसपहेलियंगसतसहस्साई सा एगा सोसपहेलिया। एताव ताव गणिए, एयावए चेव गणियस्स विसए, अतो परं ओवमिए / [367] असंख्यात समयों के समुदाय समिति के संयोग से (असंख्यात समयों के समुदाय रूप संयोग से) एक प्रावलिका निष्पन्न होती है / संख्यात पावलिकाओं का एक उच्छ्वास और संख्यात आवलिकाओं का एक निःश्वास' होता है / हृष्ट (प्रसन्न), वृद्धावस्था से रहित, (भूतकालिक एवं वर्तमानकालिक) व्याधि से रहित मनुष्य आदि के एक उच्छ्वास और नि:श्वास के 'काल' को प्राण कहते हैं / 104 ऐसे सात प्राणों का एक स्तोक, सात स्तोकों का एक लव और सतहत्तर लवों का एक मुहूर्त जानना चाहिये / 105 अथवा-- 1. कोष्ठगत वायु को बाहर निकालने को उच्छ्वास और बाहर की वायु को अन्दर कोष्ठ (कोठे) में ले जाने की निःश्वास कहते हैं / एक उच्छ्वास में स्थूलगणना से 35 सेकेण्ड होते हैं, इतने ही निःश्वास में भी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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