SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 325
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उत्त प्रमाणाधिकार निरूपण] [275 सामान्य पद में मनुष्यों की जो उत्कृष्ट अवगाहना तीन गव्यूति प्रमाण कही गई है, वह देवकुरु आदि के मनुष्यों की अपेक्षा जानना चाहिए। दिगम्बरपरम्परा के ग्रन्थों में मनुष्यगति सम्बन्धी शरीरावगाहना का प्रमाण क्षेत्रापेक्षा और सुषमासुषमा आदि कालों की अपेक्षा से भी पृथक्-पृथक् बतलाया है। ज्ञातव्य होने से उसको यहाँ उद्धृत करते हैं। भरतादि क्षेत्रों तथा भूमि की अपेक्षा अवगाहना का प्रमाण इस प्रकार है गणना--२००० धनुष का एक कोस अधिकरण अवगाहना क्षेत्रनिर्देश मिनिर्देश जघन्य उत्कष्ट 1. भरत, ऐरबत कर्मभूमि 33 हाथ 525 धनुष हैमवत, हैरण्यवत जघन्य भोगभूमि 525,500 धनुष 2000 धनुष हरि, रम्यक मध्यम भोगभूमि 2000 धनुष 4000 धनुष विदेह 500 धनुष 500 धनुष देवकुरु, उत्तरकुरु उत्तम 4000 धनुष 6000 धनुष अन्तर्वीप कुभोगभूमि 500 धनुष 2000 धनुष छह आरों की अपेक्षा मनुष्यों की अवगाहनाअवपिणी कालनिर्देश उत्सपिणी जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट सुषमासुषमा 4000 ध. 6000 ध. दुषमादुषमा 1 हाथ 3 या 33 हाथ सुषमा २०००व. 4000,, दुषमा 3 या 33 हाथ 7 हाथ सुषमासुषमा 525 ध. 2000 ,, दुषमासुषमा 7 हाथ 525 धनुष दुषमासुषमा 7 हाथ 525 , सुषमादुषमा 525 धनुष 2000 धनुष 3 या 33 7 हाथ सुषमा 2000 धनुष 4000 धनुष हाथ दुषमादुषमा 1 हाथ 3 या 33 हाथ सुषमासुषमा 4000 धनुष 6000 धनुष इस प्रकार से मनुष्यों की अवगाहना बतलाने के बाद भवनपति देवों का वर्णन पूर्व में कर दिये जाने से अब देवगति के वाणव्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक निकाय के देवों की अवगाहना का निरूपण किया जाता है। 1. प्राधार—मूलाचार 1063,1087, सर्वार्थसिद्धि 3/29-31, तत्त्वार्थराजवार्तिक 3/29-31, धवला 4/1,3,2/45, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 11/54, तत्त्वार्थसार 2/137 2.. आधार----तिलोयपण्णात्ति 4 / 335, 396, 404, 1277, 1475, 1536, 1564, 1568, 1576, 1595 1597, 1598, 1600, 1601, 1602, 1604 माथायें / कालनिर्देश दुषमा --- -- - -- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy