________________ 274] .. [अनुयोगद्वारसूत्र मनुष्यगति-अवगाहनानिरूपण 352. [1] मणुस्साणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई / [352-1 प्र. भगवन् ! मनुष्यों की शरीरावगाहना कितनी कही गई है ? [352-1 उ.] गौतम (सामान्य रूप में) मनुष्यों की अवगाहना जघन्य अंगुल का असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट तीन गन्यूति है। [2] सम्मुच्छिममणुस्साणं जाव गोयमा ! जहन्नेणं अंगु० असं०, उक्को० अंगु० असं० / [352-2 प्र.] भगवन् ! संमूच्छिम मनुष्यों की अवगाहना कितनी है ? [252-2 उ.] गौतम ! संमूच्छिम मनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। [3] गम्भवक्कंतियमस्साणं जाव गोयमा ! जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई। अपज्जतगगम्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा, गो० ! जह• अंगु० असं० उपकोसेण वि अंगु० असं०। पज्जत्तयग० पुच्छा गो० ! जह० अंगु० असंखे०, उक्कोसेणं तिनि गाउआई। [352-3 प्र.] भगवन् ! गर्भव्युत्क्रान्त मनुष्यों की अवगाहना की पृच्छा है ? [352-3 उ.] गौतम ! सामान्य रूप में गर्भज मनुष्यों की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट तीन गव्यूति प्रमाण है। [प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्त मनुष्यों की अवगाहना कितनी है ? [उ.] उनकी जघन्य और उत्कृष्ट शरीरावगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। [प्रभगवन् ! पर्याप्त गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्यों की अवगाहना का प्रमाण कितना है ? [उ.] गौतम ! उनकी जघन्य अवगाहना अंगुल का असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट अवगाहना तीन गव्यूति प्रमाण है। विवेचन--प्रस्तुत प्रश्नोत्तरों में मनुष्यों कीशरीरावगाहना का प्रमाण बतलाया है। मनुष्यों के पांच अवगाहनास्थान हैं..१. सामान्य मनुष्य, 2. संमूच्छिम मनुष्य, 3. गर्भज मनुष्य, 4. पर्याप्त गर्भज मनुष्य और 5. अपर्याप्त गर्भज मनुष्य / संमूच्छिम तिर्यचों की तरह समूच्छिम मनुष्यों में अपर्याप्त और पर्याप्त थे दो विकल्प नहीं होते। समूच्छिम मनुष्य गर्भज मनुष्यों के शुक्र, शोणित ग्रादि में ही उत्पन्न होते हैं और वे अपर्याप्त अवस्था में ही मर जाते हैं। अत: उनमें पर्याप्त, अपर्याप्त विकल्प संभव न होने से तज्जन्य अवगाहनास्थान भी नहीं बताये हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org