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________________ प्रमाणाधिकार निरूपण] (237 धरण, अढ़ाई धरण का एक सुवर्ण या कंस, चार सुवर्ण या चार कंस का एक पल, सौ पल की एक तुला, तीन तुला का एक कुडव, चार कुडव का एक प्रस्थ (सेर ), चार प्रस्थ का एक प्राढक, चार पाढक का एक द्रोण, सोलह द्रोण की एक खारी और बीस खारी की एक बाह होती है। श्रवमानप्रमाण 324. से कि तं ओमाणे? ओमाणे जण्णं ओमिणिज्जति / तं जहा-हत्थेण वा दंडेण वा धणुएण का जुगेण वा णालियाए वा अक्खेण वा मुसलेण वा। दंडं धण जुगं णालिया य अक्ख मुसलं च चउहत्यं / दसनालियं च रज्जु वियाण ओमाणसण्णाए / / 93 // वत्थुम्मि हत्थमिज्ज खित्ते दंडं धणु च पंथस्मि / / खायं च नालियाए वियाण ओमाणसण्णाए // 94 / / [324 प्र.] भगवन् ! अवमान ( प्रमाण ) क्या है ? [324 उ.] आयुष्मन् ! जिसके द्वारा अवमान ( नाप) किया जाये अथवा जिसका अवमान (नाप) किया जाये, उसे अवमानप्रमाण कहते हैं / वह इस प्रकार-हाथ से, दंड से, धनुष से, युग से, नालिका से, अक्ष से अथवा मूसल से नापा जाता है / दंड, धनुष, युग, नालिका, अक्ष और मूसल चार हाथ प्रमाण होते हैं / दस नालिका की एक रज्जू होती है। ये सभी अवमान कहलाते हैं / 93 / वास्तु-गृहभूमि को हाथ द्वारा, क्षेत्र खेत को दंड द्वारा, मार्ग-रास्ते को धनुष द्वारा और खाई-कुआ आदि को नालिका द्वारा नापा जाता है। इन सबको 'अवमान' इस नाम से जानना चाहिये / 95 // 325. एतेणं ओमाणप्पमाणणं किं पनोयणं ? एतेणं ओमाणप्पमाणेणं खाय-चिय-करगचित-कड-पड-भित्ति-परिक्वेवसंसियाणं वन्वाण ओमाणप्पमाण निव्वत्तिलक्खणं भवति / से तं ओमाण / [325 प्र.] भगवन् ! इस अवमानप्रमाण का क्या प्रयोजन है ? [325 उ.] इस अवमानप्रमाण से खात (खाई ), कुआ आदि, ईंट, पत्थर आदि से निर्मित प्रासाद-भवन, पीठ (चबूतरा) आदि, क्रकचित (करवत—पारी आदि से विदारित, खंडित काष्ठ ) आदि, कट ( चटाई ), पट ( वस्त्र ), भींत (दीवाल), परिक्षेप ( दीवाल की परिधि-धेर) अथवा नगर की परिया आदि में संश्रित द्रव्यों की लंबाई-चौड़ाई, गहराई और ऊँचाई के प्रमाण का परिज्ञान होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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