________________ 144] [अनुयोगद्वारसूत्र [216-13] देव नाम को अविशेषित मानने पर उसके अवान्तर भेद भवनवासी, वाणव्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक यह देवनाम विशेषित कहलायेगे। यदि उक्त देवभेदों में से भवनवासी नाम को अविशेषित माना जाये तो असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिक्कुमार, वायुकुमार, और स्तनितकुमार ये नाम विशेषित हैं 1 इन सब नामों में से भी प्रत्येक को यदि प्रविशषित माना जाये तो उन सबके पर्याप्त और अपर्याप्त भेद विशेषित नाम कहलााँगे। [14] अविसेसिए वाणमंतरे, विसेसिए पिसाए भूते जक्खे रक्खसे किण्णरे किंपुरिसे महोरगे गंधवे। एतेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेय भाणियन्वा / [216-14] वाणव्यंतर इस नाम को अविशेषित मानने पर पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गंधर्व, ये नाम विशेषित नाम हैं / इन मबमें से भी प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त अपर्याप्त भेद विशेषित नाम कहलायेंगे / [15] अविसेसिए जोइसिए, विसेसिए चंदे सूरे गहे नक्खत्ते तारारूवे / एतेसि पि अविससिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेया भाणियव्वा / [216-15] यदि ज्योतिष्क नाम को अविशेषित माना जाये तो चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारारूप नाम विशेषित कहे जायेंगे। इनमें से भी प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त, अपर्याप्त भेद विशेषित नाम हैं। जैसे कि पर्याप्त चन्द्र, अपर्याप्त चन्द्र प्रादि / [16] अविसेसिए वेमाणिए, विसे सिए कप्पोवगे य कप्पातीतए य / अविसेसिए कप्पोवए, विसेसिए सोहम्मए ईसाणए सणंकुमारए माहिदए बंभलोगए लतयए महासुक्कए सहस्सारए आणयए पाणयए आरणए अच्चुतए / एतेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेदा भाणियव्वा / [216-16] यदि वैमानिक देवपद को अविशेषित नाम माना जाये तो उसके कल्पोपपन्न और कल्पातीत यह दो प्रकार विशेषित नाम हैं / / कल्पोपपत्र को अविशेषिन नाम मानने पर सौधर्म, ईशान, सानत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, लांतक, महाशुक्र, महस्रार, आनन, प्राणत, पारण, अच्युत विमानवासी देव नाम विशेषित नाम यदि इनमें से प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त, अपर्याप्त रूप भेद विशेषित नाम कहलायेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org