________________ जानुपूर्वो निरूपण] 1. सत्पदप्ररूपणता, 2. द्रव्यप्रमाण, 3. क्षेत्र, 4. स्पर्शना, 5. काल, 6. अंतर, 7. भाग, 8. भाव, 9. अल्पबहुत्व / इन नौ प्रकारों के लक्षण पूर्व कथनानुसार यहाँ भी समझ लेना चाहिये। इनका वक्तव्यता इस प्रकार है(ङ- 1) सत्पदप्ररूपरणता 191. णेगम-ववहाराणं आणुपुग्विदम्वाई कि अस्थि णस्थि ? नियमा तिणि वि अस्थि / [191 प्र.] भगवन् ! नैगम व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्य हैं या नहीं हैं ? [191 उ.] आयुष्मन् ! नियमत: ये तीनों द्रव्य हैं। विवेचन--सूत्र में अनुगम के प्रथम भेद सत्पदप्ररूपणता का प्राशय स्पष्ट किया है / विद्यमान पदार्थविषयक पद की प्ररूपणा को सत्पदप्ररूपणता कहते हैं। अतएव जब ऐसा प्रश्न किया जाता है कि नैगम-व्यवहारनयसंमत अानुपूर्वी, अनानुपूर्वी एवं प्रवक्तव्य द्रव्य हैं या नहीं? तब इसका उत्तर दिया जाता है—नियमा तिण्णि वि अस्थि-ये तीनों द्रव्य सदैव अस्ति रूप हैंनियमत: ये तीनों द्रव्य हैं। यही सत्पदप्ररूणता की वक्तव्यता का आशय है / (2) द्रव्यप्रमाण 192. गम-ववहाराणं आणुपुन्विदव्वाई कि संखेज्जाई असंखेज्जाइं अणंताई ? तिणि वि नो संखेज्जाइं, असंखेज्जाई, नो अणंताई। [192 प्र.] भगवन् ! नैगम व्यवहारनयसम्मत पानुपूर्वी प्रादि द्रव्य संख्यात हैं, असंख्यात है या अनन्त हैं ? [192 उ.] आयुष्मन् ! तीनों द्रव्य संख्यात और अनन्त नहीं हैं, परन्तु असंख्यात हैं। विवेचन सूत्र में प्रानुपूर्वी आदि द्रव्यों को असंख्यात बताया है। इसका कारण यह है कि लोक में द्रव्य तो अनन्त हैं, किन्तु तीन समय आदि की स्थिति वाले प्रत्येक परमाणु आदि की समयत्रयादि रूप स्थिति एक ही है। क्योंकि यहाँ काल की प्रधानता है और द्रव्यबहुत्व की गौणता। इसलिये तीन समय, चार समय आदि की, एक समय की और दो समय की स्थिति वाले जितने भी परमाणु आदि अनन्त द्रव्य हैं वे सब अपनी-अपनी स्थिति की अपेक्षा से एक ही आनुपूर्वी आदि द्रव्य * रूप हैं अर्थात् तीन समय की स्थिति वाले अनन्त द्रव्य एक ही प्रानुपूर्वी हैं। इसी प्रकार चार समय की स्थिति बाले अनन्त द्रव्य एक आनुपूर्वी हैं यावत् दस समय की स्थिति वाले एक आनुपूर्वी हैं, इत्यादि / अनानुपूर्वो और अवक्तव्य द्रव्य असंख्यात कैसे ?- यद्यपि एक समय की स्थिति वाले और दो समय की स्थिति वाले द्रव्यों में प्रत्येक द्रव्य अनन्त हैं। लेकिन लोक के असंख्यात प्रदेश हैं, अत: उनके अवगाह भेद असंख्यात हैं। इसलिये एक समय की स्थिति वाले और दो समय की स्थिति वाले जितने भी द्रव्य हैं, उनमें से एक-एक द्रव्य में अवगाहना के भेद से भिन्नता है / अतएव इस भिन्नता की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org