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________________ आनुपूर्वी निरूपण [91 इन सब कारणों से धर्मास्तिकाय आदि अन्य द्रव्यों को छोड़कर पुद्गलास्तिकाय को ही पूर्वानुपूर्वी आदि रूप से उदाहृत किया गया है। __ इस प्रकार पूर्व में बताये गये द्रव्यानुपूर्वी के दो प्रकारों का पूर्ण रूप से कथन किया जा चुका है / अतः अब क्रमप्राप्त क्षेत्रानुपूर्वी का वर्णन प्रारंभ करते हैं / क्षेत्रानुपर्वो के प्रकार 136. से कि तं खेत्ताणुपुत्वी ? खेत्ताणुपुब्बी दुविहा पण्णत्ता / तं जहा-ओवणिहिया य अणोवणिहिया य। [139 प्र.] भगवन् ! क्षेत्रानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ? [139 उ.] अायुप्मन् ! क्षेत्रानुपूर्वी दो प्रकार की है। यथा-१. प्रोपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी और 2. अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी / 140. तत्थ णं जा सा ओवणिहिया सा ठप्पा / [140] इन दो भेदों में से औपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी (अल्प विषय वाली होने से पश्चात् वर्णन किये जाने के कारण) स्थाप्य है / 141. तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पन्नत्ता / तं नहा-णेगम-क्वहाराणं 1 संगहस्स य 2 / [141] अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी दो प्रकार की कही गई है। यथा--१. नैगम-व्यवहारनयसंमत और 2. संग्रहनयसंमत / विवेचन-यह तीन सूत्र क्षेत्रानुपूर्वी के वर्णन की भूमिका रूप हैं। सूत्रोक्त क्रमानुसार इनका वर्णन आगे किया जा रहा है / नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी 142. से कि तं गम-ववहाराणं अणोवणियिा खेत्ताणुपुती ? गम-ववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुवी पंचविहा पण्णत्ता। तं जहा---अटुपयपरूवणया 1 भंगसमुक्कित्तणया 2 भंगोवदंसणया 3 समोयारे 4 अणुगमे 5 / [142 प्र.] भगवन् ! नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ? [142 उ.] आयुष्मन् ! इस उभयनयसम्मत अनौपनिधि की क्षेत्रानुपूर्वी की प्ररूपणा के पांच प्रकार हैं / यथा--१. अर्थपदप्ररूपणता, 2. भंगसमुत्कीर्तनता, 3. भंगोपदर्शनता, 4. समवतार, 5. अनुगम। विवेचन-सूत्रोक्त अर्थपदप्ररूपणता आदि की लक्षण-व्याख्या द्रव्यानुपूर्वी के प्रसंग में किये गये वर्णन के समान जाननी चाहिये / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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