________________ ज्ञान के पाँच प्रकार [ 47 जो असंजय-सम्महि टि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूगम-गब्भवतिय-मणुस्साणं, णो संजया-संजयसम्मद्दिट्टि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग गब्भवक्कतियमणुस्साणं / ३४-प्रश्न-यदि सम्यग्दृष्टि पर्याप्त, संख्यावर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को होता है, तो क्या संयत--- संयमी सम्यगदष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को होता है, अथवा असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को होता है या संयतासंयत-देशविरत सभ्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को होता है ? उत्तर----गौतम ! संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को उत्पन्न होता है / असंयत और संयतासंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को नहीं होता। विवेचन---इन प्रश्नोत्तरों में संयत, असंयत और संयतासंयत जीवों के विषय में उल्लेख किया गया है। इनके लक्षण निम्न प्रकार हैं ___ संयत-जो सर्वविरत हैं तथा चारित्रमोहनीय कर्म के क्षय अथवा क्षयोपशम से जिन्हें सर्वविरति चारित्र की प्राप्ति हो गई है, वे संयत कहलाते हैं / ___ असंयत-जो चतुर्थ गुणस्थानवर्ती हों, जिनके अप्रत्याख्यानावरण कषाय के उदय से-- देशविरति न हो उन्हें अविरत या असंयत सम्यग्दृष्टि कहते हैं। संयतासंयत-संयतासंयत सम्यग्दृष्टि मनुष्य श्रावक होते हैं / श्रावकों को हिंसा आदि पांच पाश्रवों का अंश रूप से त्याग होता है, सम्पूर्ण रूप से नहीं। संयतादि को क्रमश: विरत, अविरत और विरताविरत तथा पच्चक्खाणो, अपच्चक्खाणी एवं पच्चक्खाणापच्चखाणो भी कहते हैं। अभिप्राय यह है कि संयत या सर्वविरत मनुष्यों को ही मनःपर्यवज्ञान उत्पन्न हो सकता है, असंयत और संयतासंयत सम्यकदृष्टि मनुष्य इस ज्ञान के पात्र नहीं हैं। ३५-जइ संजय-सम्मद्दिटि-पज्जत्तग-संखेज्जावासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणां कि पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्टि-पज्जत्तग-संखेज्ज वासाउयकम्मभूमग-गल्भवक्कंतिय-मणुस्साणं, कि अप्पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्टि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणुस्साणं? गोयमा ! अप्पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्टि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय * कम्मभूमग - गम्भवतियमणुस्साणं, णो पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवत्तिय-मणुस्साणं / ३५–प्रश्न-यदि संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को उत्पन्न होता है तो क्या प्रमत्त संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुवाले कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को होता है या अप्रमत्त संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यातवर्ष-आयुष्क कर्मभूमिज गर्भज मनुष्यों को ? उत्तर-गौतम ! अप्रमत्त संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्ष की आयुवाले कर्मभूमिज . गर्भज मनुष्यों को होता है, प्रमत्त को नहीं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org