________________ युग-प्रधान-स्थविरालिका-वन्दन] [13 (11) बलिस्सह उस युग के प्रधान प्राचार्य हुए हैं। दोनों यमल भ्राता तथा गुरुभ्राता होने से स्तुतिकार ने उन्हें बड़ी श्रद्धा से नमस्कार किया है। २८--हारियगुत्तं साइंच बंदिमो हारियं च सामज्जं / वंदे कोसियगोत्तं, संडिल्लं अज्जजीय-धरं / / 28-(12) हारीत गोत्रीय स्वाति को (13) हारीत गोत्रीय श्रीश्यामार्य को तथा (14) कौशिक गोत्रीय आर्य जीतधर शाण्डिल्य को बन्दन करता हूँ। २६--ति-समुद्दसाय कित्ति, दोव-समुद्देसु गहियपेयालं। ___ बंदे अज्जसमुह, अक्खुभियसमुद्दगंभीरं // २६-पूर्व, दक्षिण और पश्चिम, इन तीनों दिशाओं में, समुद्र पर्यन्त, प्रसिद्ध कीर्तिवाले, विविध द्वीप समुद्रों में प्रामाणिकता प्राप्त अथवा द्वीपसागरप्रज्ञप्ति के विशिष्ट ज्ञाता, अक्षुब्ध समुद्र समान गंभीर (15) आर्य समुद्र को वन्दन करता हूँ / “ति-समुद्द-खाय-कित्ति'---इस पद से ध्वनित होता है कि भारतवर्ष की सीमा तीन दिशाओं में समुद्द-पर्यन्त है। ३०--भणगं करगं झरगं, पभावगं णाणंदसणगुणाणं / वंदामि अज्जमंगु, सुय-सागरपारगं धीरं / / ३०-सदैव श्रु त के अध्ययन-अध्यापन में रत, शास्त्रोक्त क्रिया करने वाले, धर्म-ध्यान के ध्याता, ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि का उद्योत करने वाले तथा श्रु त-रूप सागर के पारगामी धीर (विशिष्ट बुद्धि से सुशोभित) (16) आर्य मंगु को वन्दना करता हूँ। ३१-वंदामि अज्जधम्म, तत्तो वंदे य भगुत्तं च / तत्तो य अज्जवइरं, तवनियमगुणेहि वइरसमं // ३१-प्राचार्य (17) आर्य धर्म को, फिर (18) श्री भद्रगुप्त को वन्दन करता हूँ। पुनः तप नियमादि गुणों से सम्पन्न वज्रवत् सुदृढ (19) श्री प्रार्य वज्रस्वामी को वन्दन करता हूँ। ३२–बंदामि अज्जरक्खियखवणे, रक्खिय चरित्तसव्वस्से। रयण-करंडगभूप्रो-प्रणुप्रोगो रक्खियो जेहिं / / ३२-जिन्होंने स्वयं के एवं अन्य सभी संयमियों के चारित्र सर्वस्व की रक्षा की तथा जिन्होंने रत्नों की पेटी के समान अनुयोग की रक्षा की, उन क्षपण-तपस्वीराज (20) प्राचार्य श्री आर्य रक्षित को वन्दन करता हूँ। ___३३-णाणम्मि दंसणम्मि य, तवविणए णिच्चकालमुज्जतं / प्रज्जं नंदिल-खपणं, सिरसा वंदे पसन्नमणं / / ज्ञान, दर्शन, तप और विनयादि गुणों में सर्वदा उद्यत, तथा राग-द्वेष विहीन प्रसन्नमना, अनेक गुणों से सम्पन्न आर्य (21) नन्दिल क्षपण को सिर नमाकर वन्दन करता हूँ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org