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________________ मतिज्ञान] [103 को देखा तो चोरी होने की बात को भूलकर चोर की कला की प्रशंसा करने लगे। उसी जन-समूह में चोर भी खड़ा था और अपनी चतुराई की तारीफ सुनकर प्रसन्न हो रहा था / एक किसान भी वहाँ था पर उसने प्रशंसा करने के बदले कहा-'भाइयो! इसमें इतनी प्रशंसा या अचंभे की क्या बात है ? अपने कार्य में तो हर व्यक्ति कुशल होता है ! किसान की बात सुनकर चोर को बड़ा क्रोध पाया और एक दिन वह छुरा लेकर किसान को मारने के लिए उसके खेत में जा पहुँचा। जब वह छुरा उठाकर किसान की ओर लपका तो एकदम पीछे हटते हए किसान ने पूछा-'तम कौन हो और मझे क्यों मारना चाहते हो?' चोर बोला'तूने उस दिन मेरी लगाई हुई सेंध की प्रशंसा क्यों नहीं की थी ?' __ किसान समझ गया कि यह वही चोर है। तब वह बोला- "भाई, मैंने तुम्हारी बुराई तो नहीं की थी, यही कहा था कि जो व्यक्ति जिस कार्य को करता है उसमें वह अपने अभ्यास के कारण कुशल हो ही जाता है / अगर तुम्हें विश्वास न हो तो मैं अपनी कला तुम्हें दिखाकर विश्वस्त कर दू। देखो, मेरे हाथ में मूंग के ये दाने हैं। तुम कहो तो मैं इन सबको एक साथ ऊर्ध्वमुख, अधोमुख अथवा पार्श्व से गिरा दूं। ___ चोर चकित हुआ। उसे विश्वास नहीं आ रहा था / तथापि किसान के कथन की सचाई जानने के लिए वह बोला--- "इन सबको अधोमुख डालकर बताओ।" किसान ने उसी वक्त पृथ्वी पर एक चादर फैलाई और मूग के दाने इस कुशलता से बिखेरे कि सभी अधोमुख ही गिरे। चोर ने ध्यान से दानों को देखा और कहा-"भाई ! तुम तो मुझसे भी अधिक कुशल हो अपने कार्य में / " इतना कहकर वह पुन: लौट गया। उक्त उदाहरण तस्कर एवं कृषक, दोनों की कर्मजा बुद्धि का है। (3) कौलिक-जुलाहा अपने हाथ में सूत के धागों को लेकर ही सही-सही बता देता है कि इतनी संख्या के कण्डों से इतना वस्त्र तैयार हो जायगा। (4) डोव-तरखान अनुमान से ही सही-सही बता सकता है कि इस कुड़छी में इतनी मात्रा में वस्तु आ सकेगी। (5) मोती-सिद्धहस्त मणिकार के लिये कहा जाता है कि वह मोतियों को इस प्रकार उछाल सकता है कि वे नीचे खड़े हुए सूअर के बालों में आकर पिरोये जा सकते हैं / (6) वृत-कोई-कोई घी का व्यापारी भी इतना कुशल होता है कि वह चाहने पर गाड़ी या रथ में बैठा-बैठा ही नीचे स्थित कुडियों में बिना एक बूंद भी इधर-उधर गिराये घी डाल देता है। (7) प्लवक (नट) - नटों की चतुराई जगत् प्रसिद्ध है। वे रस्सी पर ही अनेकों प्रकार के खेल करते हैं किन्तु नीचे नहीं गिरते और लोग दाँतों तले अंगुली दबा लिया करते हैं / (8) तुण्णाग-कुशल दरजी कपड़े की इस प्रकार सफाई से सिलाई करता है कि सीवन किस जगह है, इसका पता नहीं पड़ता। (9) बड्ढइ (बढ़ई)-बढ़ई लकड़ी पर इतनी सुन्दर कलाकृति का निर्माण करता है तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003499
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMadhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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