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________________ मतिज्ञान] [75 राजा की आज्ञा सुनकर गांव के निवासी नट बड़ी चिन्ता में पड़ गये / सोचने लगे-मंडप बनाना तो मुश्किल नहीं पर शिला को उठाए बिना वह मंडप पर कैसे छाई जाएगी ? लोग इकट्ठे होकर इसी पर विचार विमर्श कर रहे थे कि रोहक भूखा होने के कारण अपने पिता को बुलाने के लिए वहाँ पा पहुँचा। उसने सब वात सुनी और नटों की चिन्ता को समझ गया / समझ लेने के बाद बोला-'आप लोग इस छोटी-सी बात को लेकर चिन्ता में पड़े हुए हैं। मैं आपकी चिन्ता मिटा देता हूँ।' लोग हैरान होकर उसकी ओर देखने लगे; एक ने उपाय पूछा। रोहक ने कहा-पहले आप सब शिला के चारों ओर की भूमि खोदो। चारों तरफ भूमि खुद जाने पर नीचे सुन्दर खम्भे खड़े कर दो और फिर शिला के नीचे की जमीन खोद डालो। यह हो जाय तब फिर शिला के नीचे की तरफ चारों ओर सुन्दर दीवारें खड़ी कर दो। बस मंडप तैयार हो जाएगा और शिला हटानी भी नहीं पड़ेगी। रोहक की बात सनकर लोग बडे प्रसन्न हए और उसकी हिदायत के अनुसार ही काम कर दिया। थोड़े दिनों में ही महाशिला के नीचे भव्य स्तंभ लगा दिये गए और वैसा ही सुन्दर परकोटा आदि बनाकर मंडप तैयार किया गया। बिना हटाये ही शिला मंडप का आच्छादन वन गई। ___ कार्य समाप्त होने पर भरत सहित अन्य नटों ने जाकर राजा से निवेदन किया-'महाराज ! अापकी आज्ञानुसार मंडप तैयार कर दिया गया है। कृपा करके उसका निरीक्षण करने के लिए पधारें।' राजा ने स्वयं जाकर मंडप को देखा और प्रसन्न होकर पूछा- 'तुम लोगों को मंडप बनाने का यह तरीका किसने बताया ?' ग्रामीणों ने एक स्वर से रोहक की ओर इंगित करते हुए कहा-"राजाधिराज ! यह इस नन्हें बच्चे रोहक की बुद्धि का चमत्कार है। इसी ने हमें यह उपाय बताया और हम आपकी इच्छानुसार कार्य कर सके हैं।" राजा को इसी उत्तर की प्राशा थी। उसने रोहक को एक परीक्षा में उत्तीर्ण पाकर उसकी प्रशंसा की तथा नगर की ओर रवाना हो गया। (3) मिण्ढ–राजा ने दूसरी बार रोहक की परीक्षा करने के लिए उसके गाँव वालों के पास एक मेढा भेजा, साथ ही कहलवाया कि-"यह मेढा एक पक्ष पश्चात् लौटाना, पर ध्यान रखना कि इसका वजन न बढ़े और न ही घटने पाए।" गाँववाले फिर चिन्ताग्रस्त हो गये। सोचने लगे-'अगर इसे अच्छा खाना खिलायेंगे तो इसका वजन बढ़ेगा ही, और भूखा रखेंगे तो घट जायगा / ' __ कोई उपाय न सूझने पर उन्होंने रोहक को ही बुलाया और उससे अपनी चिन्ता का हल पूछा। रोहक ने अविलम्ब तरीका बताया और उसके निर्देशानुसार गाँव वालों ने मेढ़े को अच्छी खुराक देना शुरू किया। किन्तु उसके सामने ही एक पिंजरे में व्याघ्र को रख दिया। परिणाम यह हुआ कि अच्छी खुराक मिलने पर भी व्याघ्र के भय से मेढ़े का वजन न बढ़ा और न घटा / एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003499
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorMadhukarmuni, Kamla Jain, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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