________________ 640 [उत्तराध्ययनसून [38] जो पुद्गल स्पर्श से शीत है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है / 39. फासओ उहए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धो रसओ चेव भइए संठाणओ वि य / / [36] जो पुद्गल स्पर्श से उष्ण है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है / 40. फासओ निद्धए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणो वि य / / [40] जो पुद्गल स्पर्श से स्निग्ध है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है / 41. फासो लुक्खए जे उ भइए से उ वष्णओ / गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य // [41] जो पुद्गल स्पर्श से रूक्ष है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। 42. परिमण्डलसंठाणे भइए से उ वण्णओ। ___ गन्धओ रसम्रो चेव भइए फासओ वि य // [42] जो पुद्गल संस्थान से परिमण्डल है, वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है। 43. संठाणओ भवे वट्टे भइए से उ वष्णओ। गन्धओ रसश्रो चेव भइए फासओ वि य॥ [43] जो पुद्गल संस्थान से वृत्त है, वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है। 44. संठाणओ भवे तंसे भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य / / [44] जो पुद्गल संस्थान से त्रिकोण है, वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है / 45. संठाणओ य चउरसे भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसनो चेव भइए फासओ वि य / [45] जो पुद्गल संस्थान से चतुष्कोण है, वह वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से भाज्य है / 46. जे आययसंठाणे भइए से उ वण्ण प्रो। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य // [46) जो पुद्गल संस्थान से प्रायत है, वह वर्ण, गन्ध, रस पोर स्पर्श से भाज्य है। 47. एसा अजीवविभत्ती समासेण वियाहिया। इत्तो जीववित्ति वुच्छामि अणुपुटवसो // [47] यह संक्षेप से अजीवविभाग का निरूपण किया गया है। अब यहाँ से आगे जीवविभाग का क्रमश: निरूपण करूँगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org