________________ छत्तीसवाँ अध्ययन : जीवाजोवविभक्तिा [639 29. रसओ तित्तए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धो फासओ चेव भइए संठाणओ वि य / / [26] जो पुद्गल रस से तिक्त है, वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है / 30. रसओ कडुए जे उ भइए से उ वण्णओ। ___ गन्धो फासओ चेव भइए संठाणओ वि य // [30] जो पुद्गल रस से कटु है—वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है / 31. रसओ कसाए जे उ भइए से उ वण्णओ। ___ गन्धओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य // [31] जो पुद्गल रस से कसैला है, वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है / 32. रसओ अम्बिले जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धप्रो फासओ चेव भइए संठाणो वि य // [32] जो पुद्गल रस से खट्टा है, वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है। 33. रसओ महुरए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ फासपो चेव भइए संठाणओ वि य॥ [33] जो पुद्गल रस से मधुर है, वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है / 34. फासो कक्खडे जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य // [34] जो पुद्गल स्पर्श से कर्कश है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। 35. फासओ मउए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य / / [35] जो पुद्गल स्पर्श से मृदु है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है / 36. फासओ गुरुए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य / / [36] जो पुद्गल स्पर्श से गुरु है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है। 37. फासओ लहुए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणो विय।। [37] जो पुद्गल स्पर्श से लघु है, वह वर्ण, गन्ध, रस और संस्थान से भाज्य है / 38. फासओ सोयए जे उ भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संणओ वि य // . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org