________________ तुलना कीजिये अकक्कसं विज्ञापनि गिरं सच्चं उदीरये / याय नाभिसजे कंचि तमहं ब्र.मि ब्राह्मणं / / (धम्मपद 26 / 26) जहा पोम्म जले जायं नोवलिप्पई वारिणा / एवं अलित्तो कामेहि, तं वयं ब्रम माहणं / / (उत्तरा. 25 / 26) तुलना कीजिये वारियोक्खरपत्त व पारग्गेरिव सासपो / यो न लिम्पति कामेसु, तमहं ब्र मि ब्राहाणं / / (धम्मपद 26/19) "न वि मुण्डिएण समणो, न ओंकारेण बम्भणो। न मृणी रग्णवासेणं, कुसचीरेण न तावसो / / ' (उत्तराध्ययन 25 / 29) तुलना कीजिये "न मुण्डकेण समणो, अम्बतो अलिक भणं / इच्छालोभसमापन्नो, समणो कि भविस्सति // न तेन भिक्ख सो होति, यावता भिक्खते परे / विस्सं धम्म समादाय, भिक्खु होति न तावता / " (धम्मपद 1939,11) "न जटाहि न गोत्ते हि, न जच्चा होति ब्राह्मणो। मौनाद्धि स मुनिर्भवती, नारण्यवसनान्मुनिः / / " (उद्योगपर्व-४३।३५) "समयाए समणो होइ, बम्भचेरेण बम्भणी / नाणेण य मुणी होड, तवेणं होइ तावसो // कम्मुणा बम्भणो होइ, कम्मुणा होइ खत्तियो / वइस्सो कम्मुणा होइ, सुद्दो हवइ कम्मुणा / / ' (उत्तराध्ययन 25 // 30,31) तुलना कीजिए "" समितत्ता हि पापानं समणो ति पबुच्चति / / (धम्मपद 19:10) "पापानि परिवज्जेति स मुनी तेन सो मुनी। यो मुनाति उभो लोके मुनी तेन पच्चति / / (धम्मपद 19 / 14) [ 74 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org