SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 740
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पैतीसवां अध्ययन : अनगारमार्गगति] एवं अनासक्त होकर केवल जीवननिर्वाहार्थ पाहार करने का विधान है। किन्तु क्रय-विक्रय करना या संग्रह करना उपयुक्त नहीं। पूजा सत्कार आदि से दूर रहे 18. अच्चणं रयणं चेव वन्दणं पूयणं तहा / इड्डीसक्कार-सम्माणं मणसा वि न पत्थए / [18] मुनि अर्चना, रचना, पूजा तथा ऋद्धि, सत्कार और सम्मान की मन से भी अभिलाषा (प्रार्थना) न करे / विवेचन–साधु पूजा प्रतिष्ठादि की वाञ्छा न करे---अर्चना---पुष्पादि से पूजा, रचनास्वस्तिक आदि का न्यास, अथवा सेवना (पाठान्तर)-उच्च प्रासन पर बिठाना, वन्दन-नमस्कारपूर्वक वाणी से अभिनन्दन करना, पूजन विशिष्ट वस्त्रादि का प्रतिलाभ / ऋद्धि-श्रावकों से उपकरणादि की उपलब्धि, अथवा आमौषधि आदि रूप लब्धियों की सम्पदा, सत्कार--अर्थ प्रदान आदि / सम्मान-अभ्युत्थान आदि की इच्छा न करे / ' शुक्लध्यानलीन, अनिदान, अकिंचन : मुनि 19. सुक्कज्झाणं झियाएज्जा अणियाणे अकिंचणे / जाव कालस्स पज्जओ॥ [16] मुनि शुक्ल (-विशुद्ध-आत्म-) ध्यान में लीन रहे। निदानरहित और अकिंचन रहे / जहाँ तक काल का पर्याय है, (-जीवनपर्यन्त) शरीर का व्युत्सर्ग (कायासक्ति छोड़) कर विचरण करे। विवेचन—वोसटुकाए विहरेज्जा-शरीर का मानो त्याग (व्युत्सर्ग) कर दिया है, इस प्रकार से अप्रतिबद्ध रूप से विचरण करे / अन्तिम पाराधना से दुःखमुक्त मुनि 20. निज्जूहिऊण आहारं कालधम्मे उवट्ठिए / जहिऊण माणसं बोन्दि पहू दुक्खे विमुच्चई॥ [20] (अन्त में) कालधर्म उपस्थित होने पर मुनि पाहार का परित्याग कर (संलेखनासंथारापूर्वक) मनुष्य शरीर को त्याग कर दुःखों से विमुक्त, प्रभु (विशिष्ट सामर्थ्यशाली) हो जाता है। 21. निम्ममो निरहंकारो वीयरागो अणासवो। ___ संपत्तो केवलं नाणं सासयं परिणिन्धुए। 1. वृहद्वृत्ति, अ. रा. कोष, भा. 1, पृ. 282 2. वृहद्वृत्ति, अ. रा. कोष, भा. 1, पृ. 282 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003498
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy