________________ 462) [ उत्तराध्ययनसूत्र शान्त वातावरण एवं समय नहीं मिलता, अतः इन्हें छोड़ देना श्रेयस्कर है, यह सोच कर वे एकाकी होकर आत्मसाधना में संलग्न हो गए।' मिउ-मद्दवसंपन्ने-मृदु-बाह्यवृत्ति से कोमल-विनम्र तथा मन से भी मृदुता से युक्त / / खलुकीय : सत्ताईसवाँ अध्ययन समाप्त / 1. उत्तरा. वृत्ति. अभिधान रा. कोष भा. 3, पृ. 727 2. उत्तरा. (गुजराती भाषान्तर) भा. 2, पत्र 222 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org