________________ 458] [उत्तराध्ययनसून 7. छिन्नाले छिन्दई सेल्लिं दुद्दन्तो भंजए जुर्ग / से वि य सुस्सुयाइत्ता उज्जहित्ता पलायए // [7] कोई छिनाल (दुष्ट जाति का) बैल रास को तोड़ डालता है, कोई दुर्दान्त हो कर जुए को तोड़ देता है और वही उद्धत बैल सू-सं आवाज करके (वाहन और स्वामो को) छोड़ कर भाग जाता है। 8. खलुका जारिसा जोज्जा दुस्सीसा वि हु तारिसा। जोइया धम्मजाणम्मि भज्जन्ति धिइदुब्बला // [8] अयोग्य बैल वाहन में जोतने पर जैसे वाहन को तोड़ने वाले होते हैं, वैसे ही धैर्य में दुर्वल शिष्यों को धर्मयान में जोतने पर वे भी उसे तोड़ देते हैं / विवेचन---खलुक : अनेक अर्थों में--(१) खलुक का संस्कृतरूप अनुमानतः 'खलोक्ष' हो तो उसका अर्थ दुष्ट बैल, (2) नियुक्तिकार के अनुसार जुए को तोड़कर उत्पथ पर भागने वाला बैल, अथवा (3) वक्र या कुटिल, जिसे कि झुकाया-सुधारा नहीं जा सकता, (4) खलुक शब्द मनुष्य या पशु का विशेषण हो, तब उसका अर्थ है-दुष्ट या अविनीत मनुष्य अथवा पशु / ' एगं उसइ पुच्छंमि : दो व्याख्याएं--(१) इसका सम्बन्ध क द्ध शकटबाहक (सारथि) से हो तो वही अर्थ है जो ऊपर दिया गया है, किन्तु (2) प्रकरणसंगत अर्थ दुष्ट बैल से सम्बन्धित प्रतीत होता है। सढे बालगवी वए : दो व्याख्याएँ-कोई शठ हो जाता है, अर्थात् धर्तता अपना लेता है और कोई दुष्ट बैल जवान गाय के पीछे दौड़ता है, (2) कोई शठ (धूर्त) व्यालगव–दुष्ट बैल भाग जाता है। 'उज्जू हित्ता' या 'उज्जाहित्ता' पलायए-- (1) वाहन और स्वामी को उन्मार्ग में छोड़ कर 1. (क) 'खलु'कान्-गलिवृषभान् ।'--सुखबोधा, पत्र 316 (ख) अवदाली उत्तसग्रो, जुत्तजगं भंज, तोत्तभंजो य / उपह-विप्पहगामी एए खलुका भवे गोणा // 24 // "तं दध्वेसु खलुक बक्ककुडिल चेट्टमाइद्ध / / 25 / / जे किर गुरुपडिणीया, सबला असमाहिकारगा पावा। कलहकरणस्सभावा जिणवयणे ते किर खलुका / / 28 / / पिणा परोक्यावी भिन्नरहस्सा परं परिभवति / निब्वेयणिज्जा सढा, जिणवयणे से किर खलुका / / 29 // -उत्तरा. नियुक्ति. 2. (क) बृहद्वृत्ति, पत्र 551 (ख) The Sacred Books of the East Vol. XLV Uttara. P. 150 --डॉ. हर्मन जैकोबी 3. (क) बालगवी वएत्ति-बालगवी-प्रवद्धा गाम, (ख) यदि वा आर्षत्वात्""ब्याल गवो-दुष्टवलीबर्दः / बृहद्वृत्ति, पत्र 551 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org