SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 420
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उन्नीसवाँ अध्ययन : मृगापुत्रीय] [309 मृगापुत्र की वैराग्यमूलक उक्तियाँ 12. अम्मताय ! मए भोगा भुत्ता त्रिसफलोवमा। पच्छा कडुयविवागा. अणुबन्ध-दुहावहा // [12] हे माता-पिता ! मैंने भोग भोग लिये हैं, वे विषफल के समान अन्त में कटु परिणाम (विपाक) वाले और निरन्तर दुःखावह होते हैं / M 13. इमं सरोरं अणिच्चं असुई असुइसंभवं / प्रसासयावासमिणं दुक्ख-केसाण भायणं // [13] यह शरीर अनित्य है, अपवित्र है और अपवित्र वस्तुओं से उत्पन्न हुआ है, यहाँ का आवास अशाश्वत है तथा दुःखों एवं क्लेशों का भाजन है / .. 14. असासए सरीरम्मि रई नोवलभामहं / पच्छा पुरा व चइयव्वे फेणबुन्बुय-सन्निभे // [14] यह शरीर पानी के बुलबुले के समान क्षणभंगुर है इसे पहले या पीछे (कभी न कभी) छोड़ना ही है / इसलिए इस प्रशाश्वत शरीर में मैं आनन्द नहीं पा रहा हूँ। 15. माणुसत्ते असारम्मि वाही-रोगाण आलए। जरा-मरणघाम्म खणं पि न रमामऽहं / / [15] व्याधि और रोगों के घर तथा जरा और मृत्यु से ग्रस्त इस असार मनुष्य शरीर (भव) में एक क्षण भी मुझे सुख नहीं मिल रहा है। 16. जम्मं दुक्खं जरा दुक्खं रोगा य मरणाणि य / अहो दुक्खो हु संसारो जत्थ कीसन्ति जन्तवो // [16] जन्म दुख:रूप है, जरा (बुढ़ापा) दुःखरूप है, रोग और मरण भी दुःखरूप हैं / अहो ! निश्चय ही यह संसार दुःखमय है, जिसमें प्राणी क्लेश पाते हैं। 17. खेतं वत्थु हिरण्णं च पुत्त-दारं च बन्धया / - चइत्ताणं इमं देहं गन्तब्वमवसस्स मे // [17] खेत (क्षेत्र), वास्तु (घर), हिरण्य (सोना-चांदी) और पुत्र, स्त्री तथा बन्धुजनों को एवं इस शरीर को भी छोड़ कर एक दिन मुझे अवश्य (विवश हो कर) चले जाना है / 18. जहा किम्पागफलाणं परिणामो न सुन्दरो / एवं भुत्ताण भोगाणं परिणामो न सुन्दरो॥ [18] जैसे खाए हुए किम्पाक फलों का अन्तिम परिणाम सुन्दर नहीं होता, वैसे ही भोगे हुए भोगों का परिणाम भी सुन्दर नहीं होता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003498
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy