________________ दमवाँ , दस समाधिस्थानों का पद्यरूप में विवरण प्रात्मान्वेषक ब्रह्मचर्य निष्ठ के लिए दस तालपुट समान ब्रह्मचर्य-समाधिमान के लिए कर्तव्यप्रेरणा ब्रह्मचर्य-महिमा 264 265 सत्रहवाँ अध्ययन : पापश्रमरणीय 267 268 269 अध्ययन-सार पापश्रमण: ज्ञानाचार में प्रमादी दर्शनाचार में प्रमादी : पापश्रमण चारित्राचार में , तप-प्राचार में ,, ,, वीर्याचार में , सुविहित श्रमण द्वारा उभयलोकाराधना अठारहवाँ अध्ययन : संजयीय 269 271 272 273 275 276 276 277 9 9 15 15 अध्ययन-सार संजय राजा का शिकार के लिए प्रस्थान एवं मृगवध ध्यानस्थ अनगार के समीप राजा द्वारा मृगवध मुनि को देखते ही राजा द्वारा पश्चात्ताप और क्षमायाचना मुनि के मौन से राजा की भयाकुलता मुनि के द्वारा अभयदान, अनासक्ति एवं अनित्यता आदि का उपदेश विरक्त संजय राजा जिनशासन में प्रव्रजित क्षत्रिय मुनि द्वारा संजय राजर्षि से प्रश्न संजय राजर्षि द्वारा परिचयात्मक उत्तर क्षत्रिय मुनि द्वारा क्रियावादी अादि के विषय में चर्चा-विचारणा परलोक के अस्तित्व का प्रमाण : अपने अनुभव से क्षत्रिय मुनि द्वारा क्रियावाद से सम्बन्धित उपदेश भरत चक्रवती इसी उपदेश से प्रवजित हुए सगर चक्रवर्ती को संयमसाधना से निर्वाणप्राप्ति चक्रवर्ती मघवा ने प्रवज्या अंगीकार की सनत्कुमार चक्रवर्ती द्वारा तपश्चरण शान्तिनाथ चक्रवती को अनुत्तरगति-प्राप्ति कुन्थुनाथ की अनुत्तरगति-प्राप्ति अरनाथ की संक्षिप्त जीवनगाथा महापद्म चक्रवर्ती द्वाग तपश्चरण 15 ISU 287 288 290 291 292 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org