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________________ छात्रों की दुर्दशा से व्याकूल रुद्रदेव द्वारा मुनि से क्षमायाचना तथा पाहारग्रहण की प्रार्थना पाहारग्रहण के बाद देवों द्वारा पंच दिव्यवृष्टि और ब्राह्मणों द्वारा मुतिमहिमा मुनि और ब्राह्मणों की यज्ञ-स्नानादि के विषय में चर्चा तेरहवाँ अध्ययन :चित्र-सम्भूतीय अध्ययन-सार संभूत और चित्र का पृथक्-पृथक् नगर और कुल में जन्म चित्र और संभूत का समागम और पूर्व भवों का स्मरण चित्र मनि और ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती का एक दूसरे को अपनी ओर खींचने का प्रयास ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती और चित्र मुनि की गति चौदहवाँ अध्ययन : इषुकारीय अध्ययन-सार प्रस्तुत अध्ययन के छह पात्रों का पूर्वजन्म एवं वर्तमान जन्म का मामान्य परिचय विरक्त पुरोहितकुमारों को पिता से दीक्षा की अनुमति पुरोहित और उसके पुत्रों का संवाद प्रबुद्ध पुरोहित, अपनी पत्नी से पुरोहित परिवार के दीक्षित होने पर रानी और राजा की प्रतिक्रिया एवं प्रतिबद्धता राजा-रानी की प्रव्रज्या एवं छहो आत्माओं की क्रमश: मूक्ति 214 220 233 पन्द्रहवाँ अध्ययन : सभिक्षुकम् अध्ययन-सार भिक्ष के लक्षण : ज्ञान-दर्शन-चारित्रात्मक जीवन के रूप में सोलहवाँ अध्ययन : ब्रह्मचर्य समाधिस्थल अध्ययन-सार दस ब्रह्मचर्य-समाधिस्थान और उनके अभ्यास का निर्देश प्रथम ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान द्वितीय 255 तृतीय चतुर्थ पंचम छठा सातवाँ आठवाँ नौवाँ 256 256 257 258 259 259 260 [100 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003498
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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