________________ rxr 149 152 156 प्रथम प्रश्नोत्तर-मिथिला में कोलाहल का कारण द्वितीय जलते हुए अन्तःपुरप्रेक्षण संबंधी तृतीय , नगर को सुरक्षित एवं अजेय बनाने के संबंध में चतुर्थ प्रासादादि निर्माण कराने के संबंध में पत्रम चोर-डाकूयों से नगररक्षा के संबंध में छया उद्दण्ड गजाओं को वश में करने के संबंध में सप्तम यज्ञ, ब्राह्मणभोजन, दान और भोग के संबंध में अष्टम गृहस्थाश्रम में ही धर्मसाधना के संबंध में 151 नवम हिरण्यादि तथा भण्डार की वृद्धि करने के संबंध में दशम , प्राप्त कामभोगों को छोड़कर अप्राप्त को पाने की इच्छा के संबंध में 154 देवेन्द्र हाग अमली रूप में स्तुति, प्रशंसा एवं वन्दना श्रामण्य में सुस्थित नमि गर्षि और उनके दृष्टान्त द्वारा उपदेश अध्ययन : द्रुमपत्रक अध्ययन-मार मनुष्य जीवन की नश्वरता, अस्थिरता और अप्रमाद का उदबोधन मनुष्यजन्म को दुर्लभता-प्रमादत्याग का उपदेश 163 मनुष्यजन्मप्राप्ति के बाद भी कई कारणों से धर्माचरण को दुर्लभता बताकर प्रमादत्याग की प्रेरणा हन्द्रियबल की भीणता एवं प्रमादत्याग का उपदेश अप्रमाद में बाधक तत्वों से दूर रहने का उपदेश ग्यारहवां अध्ययन : बहुश्रुतपूजा अध्ययन-मार अध्ययन का उपक्रम 175 बहुश्रुत का स्वरूप और माहात्म्य वहुश्रु तता का फल एवं वश्रु तताप्राप्ति का उपाय बारहवाँ अध्ययन : हरिकेशीय अध्ययन-मार 186 हरिकेग बल मुनि का परिचय 190 मनि को देखकर ब्राह्मणों द्वारा अवज्ञा एवं उपहास यक्ष द्वारा मुनि का परिचयात्मक उत्तर यज्ञशालाधिपति रुद्रदेव 194 ब्राह्मणों द्वारा मनि को मारने-पोटने का आदेश तथा उसका पालन भद्रा द्वारा कुमारों को समझाना, मुनि का यथार्थ परिचय प्रदान यक्ष द्वारा कुमारों की दुर्दशा और भद्रा द्वारा पुनः प्रबोध 0 G 197 [ 99 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org