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________________ तृतीय अध्ययन : वन्दन [27 18. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम, स्वादिम पाहार लाकर रात्निक साधु के साथ भोजन करता हुआ यदि उत्तम भोज्य पदार्थों को जल्दी-जल्दी बड़े-बड़े कवलों से खाता है, तो यह शैक्ष की अठारहवीं पाशातना है। 16. रात्निक साधु द्वारा कुछ कहे जाने पर यदि शैक्ष उसे अनसुनी करता है, तो यह शैक्ष की उन्नीसवीं आशातना है / 20. रालिक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर यदि शैक्ष अपने स्थान पर बैठे हुए सुनता है, तो यह शैक्ष की बीसवीं पाशातना है / रात्निक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर यदि शैक्ष अपने स्थान पर बैठे हुए सुनता है, तो यह शैक्ष की बीसवीं पाशातना है / 21. रात्निक साधु के द्वारा कुछ कहे जाने पर क्या कहा' इस प्रकार से यदि शैक्ष कहे तो यह शैक्ष की इक्कीसवीं आशातना है। __22. शैक्ष रात्निक साधु को 'तुम' कह कर (तुच्छ शब्द से) बोले तो यह शैक्ष की बाईसवीं आशातना है। 23. शैक्ष रानिक साधु से यदि चप-चप करता हुआ उद्दडता से बोले तो यह शैक्ष की तेईसवीं पाशातना है / 24. शैक्ष, रात्निक साधु के कथा करते हुए की ‘जी, हां' आदि शब्दों से अनुमोदना न करे तो यह शैक्ष की चोबीसवीं पाशातना है। 25. शैक्ष रानिक द्वारा धर्मकथा करते समय 'तुम्हे स्मरण नहीं' इस प्रकार से बोले तो यह शैक्ष की पच्चीसवीं पाशातना है। 26. शैक्ष रात्निक के द्वारा धर्मकथा करते समय 'बस करो' इत्यादि कहे तो यह शैक्ष की छब्बीसवीं पाशातना है / 27. शैक्ष रात्निक के द्वारा धर्मकथा करते समय यदि परिषद् को भेदन करे, तो यह शैक्ष की सत्ताईसवीं पाशातना है / 28. शैक्ष रानिक साधु के धर्मकथा कहते हुए उस सभा के नहीं उठने पर दूसरी या तीसरी बार भी उसी कथा को कहे, तो यह शैक्ष की अट्ठाईसवीं पाशातना है / 26. शैक्ष यदि रात्निक साधु के शय्या संस्तारक को पैर से ठुकरावे, तो यह शैक्ष की उनतीसवीं पाशातना है। 30. शैक्ष यदि रात्निक साधु के शय्या या आसन पर खड़ा होता, बैठता-सोता है, तो यह यह शैक्ष की तीसवीं पाशातना है / 31, 32. शैक्ष यदि रात्निक साधु से ऊंचे या समान आसन पर बैठता है, तो यह शैक्ष की पाशातना है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003496
Book TitleAgam 28 Mool 01 Avashyak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Mahasati Suprabha
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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