________________ [आवश्यकसूत्र प्रावस्सिया–अवश्य करने योग्य चरण-करण रूप क्रिया। पासायणा-अवज्ञा, अनादर / तेत्तीसन्नयराए-तेतीस प्रकार (की आशातना) में से कोई भी / सव्वकालियाए-सर्व-भूत, वर्तमान, भविष्यत् काल संबंधी। सबमिच्छोवयाराए--सर्वांशतः मिथ्या उपचारों से युक्त / . पाशातनाएँ तेतीस हैं, वे इस प्रकार हैं 1. शैक्ष (नवदीक्षित या अल्प दीक्षा-पर्याय वाला) साधु रात्निक (अधिक दीक्षा पर्याय वाले) साधु के अति निकट होकर गमन करे / यह शैक्ष की (शैक्ष द्वारा की गई) पहली अाशातना है / 2. शैक्ष साधु रानिक साधु के आगे गमन करे / यह शैक्ष की दूसरी पाशातना है। 3. शैक्ष साधु रानिक साधु के साथ बरावरी से चले / यह शैक्ष की तीसरी पाशातना है। 4. शैक्ष साधु रात्निक साधु के आगे खड़ा हो / यह शैक्ष की चौथी पाशातना है। 5. शंक्ष साधु रात्निक साधु के बराबरी से खड़ा हो / यह शैक्ष की पांचवी आशातना है / 6. शैक्ष साधु रात्निक साधु के अति निकट खड़ा हो। यह शैक्ष की छठी आशातना है / 7. शैक्ष साधु रानिक साधु के आगे बैठे / यह शैक्ष की सातवों आशातना है / 8. शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ बराबरी से बैठे / यह शैक्ष की आठवीं पाशातना है। 6. शैक्ष साधु रात्निक साधु के प्रति समीप बैठे / यह शैक्ष की नवीं पाशातना है / 10. शैक्ष साधू रात्निक साधु के साथ बाहर विचार भूमि को निकलता हा यदि शैक्ष रात्निक साधु से पहले आचमन (शौच-शुद्धि) करे तो यह शैक्ष की दसवीं पाशातना है / 11. शैक्ष साधु रानिक साधु के साथ बाहर विचार भूमि को या विहार भूमि को निकलता हुआ यदि शैक्ष रात्निक साधु से पहले आलोचना करे और रात्निक पीछे करे तो यह शैक्ष की ग्यारहवीं पाशातना है। 12. कोई साधु रात्निक साधु के साथ पहले से बात कर रहा हो, तब शैक्ष साधु रात्निक साधु से पहले ही बोले और रात्निक साधु पोछे बोल पावे / यह शैक्ष की बारहवीं आशातना है / / / 13. रात्निक साधु रात्रि में या विकाल में शैक्ष से पूछे कि आर्य ! कौन सो रहे हैं और कौन जाग रहे हैं ? यह सुनकर भी शैक्ष अनसुनी करके कोई उत्तर न दे तो यह शैक्ष की तेरहवीं अाशातना है। 14. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष के सामने आलोचना करे पीछे रात्निक साधु के सामने, तो यह शैक्ष की चौदहवीं पाशातना है / 15. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष को दिखलावे पीछे रात्निक साधु को दिखावे, तो यह शैक्ष की पन्द्रहवीं आशातना है। 16. शैक्ष साधु अशन, पान, खादिम या स्वादिम आहार लाकर पहले किसी अन्य शैक्ष को भोजन के लिये निमंत्रण दे और पीछे रात्निक साधु को निमंत्रण दे, तो यह शैक्ष की सोलहवीं आशातना है। 17. शैक्ष साधु रात्निक साधु के साथ अशन, पान, खादिम, स्वादिम आहार को लाकर रात्निक साधु से बिना पूछे जिस किसी को दे, तो यह शैक्ष की सत्तरहवीं पाशातना है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org