SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीसरी दशा तेतीस आशातनाएँ सूत्र-सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु थेरेहि भगवंतेहिं तेत्तीसं प्रासायणाओ पण्णत्तायो। प०--कयराओ खलु ताओ थेरेहिं भगवतेहिं तेत्तीसं आसायणाओ पण्णत्ताओ? उ०-इमाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवतेहिं तेत्तीसं आसायणानो पण्णत्ताओ, तं जहा–१. सेहे रायणियस्स पुरओ गंता, भवइ आसायणा सेहस्स / 2. सेहे रायणियस्स सपक्खं गंता, भवइ आसायणा सेहस्स / 3. सेहे रायणियस्स आसन्नं गंता, भवइ आसायणा सेहस्स / 4. सेहे रायणियस्स पुरओ चिट्टित्ता, भवइ आसायणा सेहस्स। 5. सेहे रायणियस्स सपक्खं चिद्वित्ता, भवइ आसायणा सेहस्स। 6. सेहे रायणियस्स आसन्नं चिहिता, भवइ आसायणा सेहस्स / 7. सेहे रायणियस्स पुरओ निसीइत्ता, भवई आसायणा सेहस्स / 8. सेहे रायणियस्स सपक्खं निसीइत्ता, भवइ प्रासायणा सेहस्स। 9. सेहे रायणियस्स आसन्न निसीइत्ता, भवइ आसायणा सेहस्स / 10. सेहे रायणिएणं सद्धि बहिया वियारभूमि निक्खंते समाणे तत्थ सेहे पुव्वतरागं आयमइ, पच्छा रायणिए, भवइ आसायणा सेहस्स / 11. सेहे रायणिएणं सद्धि बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खंते समाणे तत्थ सेहे पुव्वतरागं आलोएइ पच्छा रायणिए, भवइ आसायणा सेहस्स। 12. केइ रायणियस्स पुन्व-संलवित्तए सिया, तं सेहे पुव्वतराग आलवइ, पच्छा रायणिए, भवइ आसायणा सेहस्स / 13. सेहे रायणियस्स राओ वा वियाले वा बाहरमाणस्स 'अज्जो ! के सुत्ता ? के जागरा ?' तत्थ सेहे जागरमाणे रायणियस्स अपडिसुणेत्ता, भवइ आसायणा सेहस्स / 14. सेहे असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिग्गाहित्ता तं पुत्वमेव सेहतरागस्स आलोएइ, पच्छा रायणियस्स, भवइ आसायणा सेहस्स / 15. सेहे असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिग्गाहित्ता तं पुब्वमेव सेहतरागस्स उवदंसेइ, पच्छा रायणियस्स, भवइ आसायणा सेहस्स। १६.सेह असण वा, पाण वा, खाइम वा, साइमं वा पडिग्गाहित्ता तं पुत्वमेव सेहतरागं उवणिमंतेइ, पच्छा रायणिए, भवह आसायणा सेहस्स। 17. सेहे रायणिएणं सद्धि असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिगाहित्ता तं रायणियं अणापुच्छित्ता जस्स जस्स इच्छइ तस्स तस्स खद्धं-खद्धं दलयति, भवइ आसायणा सेहस्स। 18. सेहे असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा पडिगाहित्ता रायणिएणं सद्धि आहारेमाणे तत्थ सेहे - खद्धंखद्धं डागं-डागं उसढं-उसढं रसियं-रसियं मणुन्नं-मणुन्न मणाम-मणामं निद्धं-निलु लुक्खं-लुक्खं आहारित्ता, भवइ आसायणा सेहस्स। 19. सेहे रायणियस्स वाहरमाणस्स, अपडिसुणित्ता, भवइ आसायणा सेहस्स / 20. सेहे रायणियस्स वाहरमाणस्स तत्थगए चेव पडिसुणित्ता, भवइ आसायणा सेहस्स / 21. सेहे रायणियं 'कि' त्ति वत्ता, भवइ आसायणा सेहस्स / 22. सेहे रायणियं 'तुम' त्ति बत्ता, भवइ आसायणा सेहस्स / 23. सेहे रायणियं खद्धं-खद्धं वत्ता, भवइ आसायणा सेहस्स / 24. सेहे रायणियं तज्जाएणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003495
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy