________________ 106] [दशाश्रुतस्कन्ध 9. श्रमण होने के लिए निदान करना एवं खलु समणाउसो ! मए धम्मे पण्णत्ते जाव' से य परक्कममाणे दिवमाणुस्सएहि कामभोगेहिं निब्बेयं गच्छेज्जा "माणुस्सगा खलु कामभोगा प्रधुवा जाव' विप्पजहणिज्जा। दिव्या वि खलु कामभोगा अधुवा जाव पुणरागमणिज्जा, पच्छापुन्वं च णं अवस्सं विप्पजहणिज्जा। "जइ इमस्स सुचरियतवनियमबंभचेरवासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अस्थि, अहमवि प्रागमेस्साए जाई इमाई भवंति अंतकुलाणि बा, पंतकुलाणि वा, तुच्छकुलाणि वा, दरिद्दकुलाणि वा, किवणकुलाणि वा, भिक्खागकुलाणि वा एएसि णं अण्णतरंसि कुलंसि पुमत्ताए पच्चायामि एस मे पाया परियाए सुणीहडे भविस्सति, से तं साहु / " एवं खलु समणाउसो ! णिग्गंथा वा जिग्गंथी वा णियाणं किच्चा जाव' देवे भवइ, महिडिए जाव' दिव्वाई भोगाई भुजमाणे विहरइ जाव से णं ताओ देवलोगाप्रो पाउक्खएणं जाव पुमत्ताए पच्चायाति जाव तस्स णं एगमवि आणवेमाणस्स जाव चत्तारि-पंच अवुत्ता चेव अभुट्ठति “भण देवाणुप्पिया ! कि करेमो जाव कि ते प्रासगस्स सयइ ?" १०–तस्स णं तहप्पगारस्स पुरिसजायस्स तहारूवे समणे वा माहणे वा उभओ कालं केवलिपण्णत्तं धम्ममाइक्खेज्जा ? उ०-हंता, आइक्खेज्जा। प०-से णं पडिसुणेज्जा ? उ०-हंता, पडिसुणेज्जा। 50 --से णं सद्दहेज्जा, पत्तिएज्जा, रोएज्जा? उ० -हंता, सद्दहेज्जा, पत्तिएज्जा, रोएज्जा। 10- से णं सोलव्वयगुणन्वयवेरभणपच्चक्खाणपोसहोववासाइं पडिवज्जेज्जा ? उ०–हता, पडिवज्जेज्जा। 50-- से णं मुडे भवित्ता प्रागाराओ अणगारियं पव्वइज्जा ? उ० --हंता, पव्वइज्जा। ५०-से णं तेणेव भवग्गहणेणं सिज्ञज्जा जाव१० सव्वदुक्खाणं अंतं करेज्जा ? उ०—णो इणट्ठ सम8। से गं भवइ-से जे अणगारा भगवंतो इरियासमिया जाव'' बंभयारी। 1-9. पहले या सातवें निदान में देखें। 10. पहले णियाणे में देखें। 11. दशा० द० 5, सु० 6 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org