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________________ 22] [निरयावलिकासूत्र देवानुप्रियो ! हमारे लिए श्रेयस्कर यह होगा कि श्रेणिक राजा को बेड़ी में डालकर और राज्य, राष्ट्र, बल, वाहन, कोष, धान्यभंडार और जनपद को ग्यारह भागों में बांट करके हम लोग स्वयं राजश्री का उपभोग करें और राज्य का पालन करें। काल आदि द्वारा स्वीकृति 19. तए णं ते कालाईया दस कुमारा कणियस्स कुमारस्स एयम? विणएणं पडिसुगंति / तए णं से कुणिए कुमारे अन्नया कयाइ सेणियस्स रन्नो अन्तरं जाणाइ, 2 ता सेणियं रायं नियलबन्धणं करेइ, 2 ता अप्पाणं महया महया रायाभिसेएणं अभिसिञ्चावेइ / तए णं से कूणिए कुमारे राया जाए महया महया [.] / [16] कृणिक का कथन सुनकर उन काल आदि दस राजपुत्रों ने उसके इस विचार को विनयपूर्वक स्वीकार किया। इसके बाद कूणिक कुमार ने किसी समय श्रेणिक राजा के अंदरूनी रहस्यों को जाना और जानकर श्रेणिक राजा को बेड़ी से बाँध दिया / बाँधकर महान राज्याभिषेक से अपना अभिषेक कराया, जिससे वह कणिक कुमार स्वयं राजा बन गया / कृणिक का चेलना के पादवंदनार्थ गमन 20. तए णं से कुणिए राया अन्नया कयाइ हाए जाव कयवलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए सव्वालंकारविभूसिए चेल्लणाए देवीए पायवन्दए हव्वमागच्छइ / तए णं से कूणिए राया चेल्लणं देवि ओहय० [जाव] शियायमाणि पासइ, 2 ता चेल्लणाए देवीए पायग्गहणं करेइ, 2 ता चेल्लणं देवि एवं वयासी—कि णं अम्मो ! तुम्हें न तुट्ठी वा न ऊसए वा न हरिसे वा न आणन्दे वा, जं णं अहं सयमेव रज्जसिरि [जाव] विहरामि ? तए णं सा चेल्लणा देवी कणियं रायं एवं क्यासी-"कहं णं पुत्ता! ममं तुट्ठी वा ऊसए का हरिसे वा प्राणन्दे वा भविस्सइ, ज णं तुम सेणियं रायं पियं देवयं गुरु-जणगं प्रच्चन्तनेहाणुरागरत्तं नियलबन्धणं करित्ता अप्पाणं महया रायाभिसेएणं अभिसिञ्चावेसि ?" तए णं से कूणिए राया चेल्लणं देवि एवं क्यासी-"घाएउकामे गं, अम्मो ! मम सेणिए राया, एवं मारेउ बन्धिउ० निच्छुभिउकामे णं अम्मो ! ममं सेणिए राया / तं कहं णं अम्मो ! मम सेणिए राया प्रच्चन्तनेहाणुरागरते ?" तए णं सा चेल्लणा देवी कूणियं कुमार एवं वयासो-"एवं खलु, पुत्ता ! तुमंसि ममं गन्भे आभूए समाणे तिण्हं मासाणं बहुपडिपुष्णाणं ममं अय मेयारूवे दोहले पाउन्भूए 'धन्नाओ णं तापो अम्मयानो, [जाव] अंगपडिचारियाओ, निरवसेसं भाणियब्वं [जाव], जाहे वि य गं तुम वेयणाए अभिभूए महया [जाव] तुसिणीए संचिट्ठसि / एवं खलु पुत्ता ! सेणिए राया प्रच्चन्तनेहाणुरागरत्ते"। तए णं से कृणिए राया चेल्लणाए देवीए अन्तिए, एयम8 सोच्चा निसम्म चेल्लणं देवि एवं वयासी-"दुठु णं अम्मो! मए कयं सेणियं रायं पियं देवयं गुरुजणगं अच्चन्तनेहाणुरागरत्तं नियलबन्धणं करन्तेणं / तं गच्छामि णं सेणियस्स रन्नो सयमेव नियलाणि छिन्दामि" ति कट्ट परसुहत्थगए जेणेव घारगसाला तेणेव पहारेत्थ गमणाए / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003487
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages178
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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