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________________ वर्ग 1 : प्रथम अध्ययन] [11 काली का दुखित होना 10. तए णं सा काली देवी समणस्स भगवओ अन्तियं एयम सोच्चा निसम्म महया पुतसोएणं अफ्फुन्ना समाणी परसुनियत्ता विव चम्पगलया धस ति धरणीयलंसि सव्वङ्गहि संनिवडिया। तए णं सा काली देवी मुहत्तन्तरेण आसत्था समाणी उढाए उट्ठइ 2 ता समणं भगवं वन्दइ, नमसइ, २त्ता एवं वयासी--"एवमेयं भंते, तहमेयं भंते, अवितहमेयं भंते, असंदिद्धमेयं भंते, सच्चे गं भंते ! एसम8, जहेयं तुम्भे वयह" त्ति कटु समणं भगवं वन्दइ नमसइ, 2 ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहइ 2 त्ता जामेव दिसि पाउम्भूया तामेव दिसि पडिगया। 10. श्रमण भगवान महावीर के इस कथन को सुनकर और हृदय में धारण करके काली रानी घोर पुत्र-शोक से अभिभूत-उद्विग्न होकर कुल्हाड़ी से खंडित काटी गई–चम्पकलता के समान पछाड़ खाकर धड़ाम-से सर्वांगों से पृथ्वी पर गिर पड़ी। कुछ समय के पश्चात् जब काली देवो कुछ प्राश्वस्त--स्वस्थ-सी-हुई तब खड़ी हुई और खड़ी होकर उसने भगवान् को वंदन-नमस्कार किया। वंदन-नमस्कार करके (रुधे स्वर से) इस प्रकार कहाभगवन् यह इसी प्रकार है, भगवन् ! ऐसा ही है, भगवन् ! यह अवितथ-असत्य नहीं है / भगवन् ! यह असंदिग्ध है / भगवन् ! यह सत्य है / यह बात ऐसी ही है, जैसी आपने बतलाई है / ' ऐसा कहकर उसने श्रमण भगवान् को पुन: बंदन-नमस्कार किया। वंदन-नमस्कार करके उसी धार्मिक यान पर आरूढ होकर, (जिस में बैठकर भगवान् के पास आई थी) जिस दिशा से आई थी वापिस उसी दिशा में लौट गई। गौतम की जिज्ञासा : भगवान का समाधान 11. "भंते" ति भगवं गोयमे [जाव] वन्दइ नमसइ, २त्ता एवं वयासो-"काले गं भंते ! कुमारे तिहिं दन्तिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं संगाम संगामेमाणे चेडएणं रन्ना एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाग्रो ववरोविए समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए, कहिं उववन्ने ?" / ___ "गोयमा" इ समणे भगवं गोयम एवं वयासी-"एवं खलु, गोयमा ! काले कुमार तिहि दन्तिसहस्सेहि जीवियाओ बवरोविए समाणे कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पङ्कप्पभाए पुढवीए हेमाभे नरगे दससागरोवमठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने / " "काले णं भंते ! कुमारे केरिसएहि आरम्भेहिं केरिसएहि समारम्भेहि केरिसएहि आरम्भसमारम्भेहि केरिसरहिं भोगेहि, केरिसरहिं संभोगेहि केरिसएहि भोगसंभोगेहि केरिसएण वा असुभकडकम्मपनमारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पङ्कप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयत्ताए उववन्ने ?" एवं खलु, गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्ध। तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नामं राया होत्था, महया। तस्स णं सेणियस्स रनो नन्दा नामं देवी होत्था, सोमाला० [जाव] विहरइ / तस्स णं सेणियस्स रन्नो नन्दाए देवीए अत्तए अभए नाम कुमारे Jain Education International For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.003487
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages178
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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