SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 424
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तम वक्षस्कार . पहले नक्षत्र से अट्ठावीसवें नक्षत्र तक के देवता यथाक्रम इस प्रकार हैं: 1. ब्रह्मा, 2. विष्णु, 3. वसु, 4. वरुण, 5. अज, 6. अभिवृद्धि, 7. पूषा, 8. अश्व, 6. यम, 10. अग्नि, 11. प्रजापति, 12. सोम, 13. रुद्र, 14. अदिति, 15. बृहस्पति, 16. सर्प, 17. पितृ 15. भग, 16. अर्यमा, 20. सविता, 21. त्वष्टा, 22 वायु, 23. इन्द्राग्नी, 24. मित्र, 25. इन्द्र, 26. नैऋत, 27. आप तथा 28. तेरह विश्वेदेव / उत्तराषाढा-अन्तिम नक्षत्र तक यह क्रम गृहीत है। अन्त में जब प्रश्न होगा-उत्तराषाढा के कौन देवता हैं तो उसका उत्तर है-गौतम ! विश्वेदेवा उसके देवता बतलाये गये हैं। नक्षत्र-तारे 161. एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कतितारे पण्णते? गोयमा ! तितारे पण्णत्ते / एवं अन्वा जस्स जइयाओ तारामो, इमं च तं तारग्गं तिगतिगपंचगसयदुग-दुगबत्तीसगतिगं तह तिगं च / छप्पंचगतिगएक्कगपंचगतिग-छक्कगं चेव // 1 // सत्तगद्गदुग-पंचग-एक्केक्कग-पंच-चउतिगं चेव / एक्कारसग-चउक्कं चउक्कगं चेव तारग्गं // 2 // [191] भगवन् ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् नक्षत्र के कितने तारे बतलाये गये हैं ? गौतम ! अभिजित् नक्षत्र के तीन तारे बतलाये गये हैं। जिन नक्षत्रों के जितने जितने तारे हैं, वे प्रथम से अन्तिम तक इस प्रकार हैं 1. अभिजित् नक्षत्र के तीन तारे, 2. श्रवण नक्षत्र के तीन तारे, 3. धनिष्ठा नक्षत्र के पांच तारे, 4. शतभिषा नक्षत्र के सौ तारे, 5. पूर्वभाद्रपदा नक्षत्र के दो तारे, 6. उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र के दो तारे, 7. रेवती नक्षत्र के बत्तीस तारे, 8. अश्विनी नक्षत्र के तीन तारे, 6. भरणी नक्षत्र के तीन तारे, 10. कृत्तिका नक्षत्र के छः तारे, 11. रोहिणी नक्षत्र के पांच तारे, 12. मृगशिर नक्षत्र के तीन तारे, 13. आर्द्रा नक्षत्र का एक तारा, 14. पुनर्वसु नक्षत्र के पांच तारे, 15. पुष्य नक्षत्र के तीन तारे, 16. अश्लेषा नक्षत्र के छः तारे, 17. मघा नक्षत्र के सात तारे, 18. पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र के दो तारे, 16. उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र के दो तारे, 20. हस्त नक्षत्र के पांच तारे, 21. चित्रा नक्षत्र का एक तारा, 22. स्वाति नक्षत्र का एक तारा, 23. विशाखा नक्षत्र के पांच तारे, 24. अनुराधा नक्षत्र के चार तारे, 25. ज्येष्ठा नक्षत्र के तीन तारे, 26. मूल नक्षत्र के ग्यारह तारे, 27. पूर्वाषाढा नक्षत्र के चार तारे तथा 28. उत्तराषाढा नक्षत्र के चार तारे हैं। नक्षत्रों के गोत्र एवं संस्थान 192. एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंगोत्ते पण्णत्ते ? गोयमा ! मोग्गलायणसगोत्ते, गाहा मोग्गल्लायण 1 संखायणे 2 तह अग्गभाव 3 कण्णिल्ले 4 / तत्तो प्र जाउकण्णे 5 घणंजए 6 चेव बोद्धव्वे // 1 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003486
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages480
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy