________________ 364] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र पुस्सायणे 7 अ अस्सायणे 8 अ भग्गवेसे 6 अ अग्गिवेसे 10 अ। गोअम 11 भारहाए 12 लोहिच्चे 13 चेव वासि॰ 14 // 2 // प्रोमज्जायण 15 मंडव्वायणे 16 अपिंगायणे 17 प्र गोवल्ले 18 / कासव 19 कोसिय 20 दबभा 21 य चामरच्छाया 22 सुगा 23 य // 3 // गोवल्लायण 24 तेगिच्छायणे 25 अकच्चायणे 26 हवइ मूले। ततो अ बज्झिमायण 27 वग्यावच्चे अ गोत्ताई 28 // 4 // एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! गोसीसावलिसंठिए पण्णत्ते, गाहा गोसीसावलि 1 काहार 2 सउणि 3 पुष्फोवयार 4 वावी य 5-6 / गावा 7 प्रासक्खंधग 8 भग 6 छुरघरए 10 असगडुद्धी 11 // 1 // मिगसीसावलि 12 रुहिरबिंदु 13 तुल्ल 14 वद्धमाणग 15 पडागा 16 / पागारे 17 पलिअंके 18-19 हत्थे 20 मुहफुल्लए 21 चेव // 2 // खोलग 22 दामणि 23 एगावली 24 अ गयदंत 25 बिच्छअअले य 26 / गयविक्कमे 27 अ तत्तो सीहनिसीही प्र२८ संठाणा // 3 // [162] भगवन् ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् नक्षत्र का क्या गोत्र बतलाया गया है ? गौतम ! अभिजित् नक्षत्र का मौद्गलायन गोत्र बतलाया गया है। गाथार्थ--प्रथम से अन्तिम नक्षत्र तक सब नक्षत्रों के गोत्र इस प्रकार हैं-१. अभिजित नक्षत्र का मौदगलायन, 2. श्रवण नक्षत्र का सांख्यायन, 3. धनिष्ठा नक्षत्र का अग्रभाव, 4. शतभिषक नक्षत्र का कण्णिलायन, 5. पूर्वभाद्रपदा नक्षत्र का जातुकर्ण, 6. उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र का धनञ्जय, 7. रेवती नक्षत्र का पुष्यायन, 8. अश्विनी नक्षत्र का अश्वायन, 8. भरणी नक्षत्र का भार्गवेश, 10. कृत्तिका नक्षत्र का अग्निवेश्य, 11. रोहिणी नक्षत्र का गौतम, 12. मृगशिर नक्षत्र का भारद्वाज, 13. आर्द्रा नक्षत्र का लोहित्यायन, 14. पुनर्वसु नक्षत्र का वासिष्ठ, 15. पुष्य नक्षत्र का अवमज्जायन, 16 अश्लेषा नक्षत्र का माण्डव्यायन, 17. मघा नक्षत्र का पिङ्गायन, 18. पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र का गोवल्लायन, 16. उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र का काश्यप, 20. हस्त नक्षत्र का कौशिक, 21. चित्रा नक्षत्र का दार्भायन, 22. स्वाति नक्षत्र का चामरच्छायन, 23. विशाखा नक्षत्र का शुङ्गायन, 24. अनुराधा नक्षत्र का गोलव्यायन, 25. ज्येष्ठा नक्षत्र का चिकित्सायन, 26. मूल नक्षत्र का कात्यायन,२७. पूर्वाषाढा नक्षत्र का बाभ्रव्यायन तथा 28. उत्तराषाढा नक्षत्र का व्याघ्रापत्य गोत्र बतलाया गया है। भगवन् ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् नक्षत्र का कैसा संस्थान---आकार है ? गौतम ! अभिजित् नक्षत्र का संस्थान गोशीर्षावलि-गाय के मस्तक के पुद्गलों की दीर्घरूप-लम्बी श्रेणी जैसा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org