________________ [जम्बूद्वीपप्राप्तिसूत्र १---मागध तीर्थ, २-वरदाम तीर्थ तथा ३-प्रभास तीर्थ / भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत ऐरावत क्षेत्र में कितने तीर्थ बतलाये गये हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत ऐरावत क्षेत्र में तीन तीर्थ बतलाये गये हैं१–मागध तीर्थ, २---वरदाम तीर्थ तथा ३-प्रभास तीर्थ / भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में एक-एक चक्रवतिविजय में कितने-कितने तीर्थ बतलाये गये हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में एक-एक चक्रवतिविजय में तीन-तीन तीर्थ बतलाये गये हैं - 1. मागध तीर्थ, 2. वरदाम तीर्थ तथा 3. प्रभास तीर्थ / यों जम्बूद्वीप के चौंतीस विजयों में कुल मिलाकर 3443 - 102 (एक सौ दो) तीर्थ 7. भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत विद्याधर-श्रेणियां तथा प्राभियोगिक-श्रेणियां कितनीकितनी बतलाई गई हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप में अड़सठ विद्याधर-श्रेणियाँ तथा अड़सठ आभियोगिक-श्रेणियाँ बतलाई गई हैं / इस प्रकार कुल मिलाकर जम्बूद्वीप में 68+68 = 136 एक सौ छत्तीस श्रेणियाँ हैं, ऐसा कहा गया है। 8. भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत चक्रवति-विजय, राजधानियाँ, तिमिस गुफाएँ, खण्डप्रपात गुफाएँ, कृत्तमालक देव, नृत्तमालक देव तथा ऋषभकूट कितने-कितने बतलाये गये हैं ? / ___ गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत चौतीस चक्रवतिविजय, चौतीस राजधानियाँ, चौतीस तिमिस गुफाएँ, चौतीस खण्डप्रपात गुफाएँ, चौतीस कृत्तमालक देव, चौतीस नत्तमालक देव तथा चौतीस ऋषभकूट बतलाये गये हैं। ह. भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाद्रह कितने बतलाये गये हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत सोलह महाद्रह बतलाये गये हैं। 10. भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत वर्षधर पर्वतों से कितनी महानदियां निकलती हैं और कुण्डों से कितनी महानदियाँ निकलती हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत चौदह महानदियाँ वर्षधर पर्वतों से निकलती हैं तथा छियत्तर महानदियाँ कुण्डों से निकलती हैं / कुल मिलाकर जम्बूद्वीप में 14+76 = 60 नब्बै महानदियाँ हैं, ऐसा कहा गया है। 11. भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत भरत क्षेत्र तथा ऐरावत क्षेत्र में कितनी महानदियाँ बतलाई गई हैं ? गौतम ! चार महानदियाँ बतलाई गई हैं-१. गंगा, 2. सिन्धु, 3. रक्ता तथा 4. रक्तवती / एक एक महानदी में चौदह-चौदह हजार नदियाँ मिलती हैं। उनसे आपूर्ण होकर वे पूर्वी एवं पश्चिमी लवण समुद्र में मिलती हैं / भरत क्षेत्र में गंगा महानदी पूर्वी लवण समुद्र में तथा सिन्धु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org