________________ 314] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र गोयमा ! सोलस महद्दहा पण्णत्ता। जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइयानो महाणईओ वासहरप्पवहाओ, केवइयाओ महाणईओ कुडप्पवाहाओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दोवे चोद्दस महाणईओ वासहरप्पवहानो, छावरि महाणईओ कुंडप्पवहारो, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे णति महाणईनो भवंतीतिमक्खायं / जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु कइ महाणईनो पण्णताओ? गोयमा ! चत्तारि महाणईओ पण्णत्तानो, तं जहा-गंगा, सिंध, रत्ता, रत्तवई। तत्थ णं एगमेगा महाणई चउद्दसहि सलिला-सहस्सेहि समग्गा पुरथिम-पच्चस्थिमेणं लवणसमुद्द समप्पेइ, एवामेव सपुन्नावरेणं जंबुद्दीवे दीवे भरह-एरवएसु वासेसु छप्पण्णं सलिला-सहस्सा भवंतीतिमक्खायंति / जंबुद्दोवे गं भंते ! हेमवय-हेरण्णवएसु वासेसु कति महाणईओ पण्णत्तामो? गोयमा ! चत्तारि महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा–रोहिता, रोहिअंसा, सुवण्णकूला, रुप्पकूला। तत्थ णं एगमेगा महाणई अट्ठावीसाए अट्ठावीसाए सलिला-सहस्सेहिं समग्गा पुरस्थिपच्चत्थिमेणं लवणसमुह समप्पेइ, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे हेमवय-हेरण्णवएसु वासेसु बारसुत्तरे सलिला-सय-सहस्से भवंतीतिभक्खायं इति / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे हरिवास-रम्मगवासेसु कइ महाणईअो पण्णत्ताओ? / गोयमा ! चत्तारि महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा-हरी, हरिकता, परकंता, णारिकता। तत्थ णं एगमेगा महाणई छप्पणाए 2 सलिला-सहस्सेहि समग्गा-पुरस्थिम पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्द समप्पेइ / एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे हरिवास-रम्मगवासेसु दो चउवोसा सलिला-सय-सहस्सा भवंतीतिमक्खायं / जंबुद्दीवे णं भंते ! महाविदेहे वासे कइ महाणईश्रो पण्णतायो ? गोयमा ! दो महाणईओ पण्णत्ताओ, तं जहा–सोआ य सीमोआ य / तत्थ णं एगमेगा महाणई पंचहि 2 सलिला-सय-सहस्सेहि बत्तीसाए असलिला-सहस्सेहि समग्गा पुरस्थिम-पच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ / एवामेव सपुब्बावरेणं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे दस सलिला-सय-सहस्सा चउसद्धि च सलिसा-सहस्सा भवन्तीतिमक्खायं / ___ जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पब्वयस्स दक्खिणेणं केवइया सलिला-सय-सहस्सा पुरस्थिमपच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पति ? ___गोयमा! एगे छण्णउए सलिला-सय-सहस्से पुरथिम-पच्चत्थिमाभिमुहे लवणसमुई समतित्ति / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं केवइया सलिला-सय-सहस्सा पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्पंति ? __गोयमा ! एगे छण्णउए सलिला-सय-सहस्से पुरत्थिम-पच्चस्थिमाभिमुहे (लवणसमुई) समप्पेइ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org