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________________ षष्ठ वक्षस्कार स्पर्श एवं जीवोत्पाद 175. जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स पदेसा लवणसमुदं पुट्ठा ? हंता पुट्ठा। ते णं भंते ! कि जंबुद्दोवे दोवे, लवणसमुद्दे ? गोयमा ! जंबुद्दोवे गं दोवे, णो खलु लवणसमुद्दे / एवं लवणसमुद्दस्स वि पएसा जंबुद्दीवे पुट्ठा भाणिअव्वा इति / जंबुद्दीवे णं भंते ! जीवा उद्दाइत्ता 2 लवणसमुई पच्चायंति ? अत्थेगइमा पच्चायंति, अत्थेगइमा नो पच्चायति / एवं लवणस्स वि जंबुद्दीवे दीवे अव्वमिति। [157] भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप के चरम प्रदेश लवणसमुद्र का स्पर्श करते हैं ? हाँ, गौतम ! वे लवणसमुद्र का स्पर्श करते हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप के जो प्रदेश लवणसमुद्र का स्पर्श करते हैं, क्या वे जम्बूद्वीप (के ही प्रदेश) कहलाते हैं या (लवणसमुद्र का स्पर्श करने के कारण) लवणसमुद्र (के प्रदेश) कहलाते हैं ? गौतम ! वे जम्बूद्वीप (के ही प्रदेश) कहलाते हैं, लवणसमुद्र (के) नहीं कहलाते / इसी प्रकार लवणसमुद्र के प्रदेशों की बात है, जो जम्बूद्वीप का स्पर्श करते हैं। भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप के जीव मरकर लवणसमुद्र में उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! कतिपय उत्पन्न होते हैं, कतिपय उत्पन्न नहीं होते। इसी प्रकार लवणसमुद्र के जीवों के जम्बूद्वीप में उत्पन्न होने के विषय में जानना चाहिए। जम्बूद्वीप के खण्ड, योजन, वर्ष, पर्वत, कूट, नदियाँ आदि 158. खंडा 1, जोअण 2, वासा 3, पन्वय 4, कूडा 5 य तित्थ 6, सेढीयो 7 / विजय 8, इह , सलिलाओ 10, पिंडए होइ संगहणी // 1 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भरहप्पमाणमेहि खंडेहि केवइ खंडगणिएणं पण्णते ? गोयमा ! णउअं खंडसयं खंडगणिएणं पण्णत्ते। जंबहीवे गं भंते ! दीवे केवइ जोअणगणिएणं पण्णते ? गोयमा ! सत्तेव य कोडिसया, पउआ छप्पण्ण सय-सहस्साई। चउणवइं च सहस्सा, सयं दिबद्धं च गणिन-पयं // 2 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003486
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages480
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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