________________ 23.] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में दक्षिणार्ध कच्छ नामक विजय कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! वैताढय पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में, माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में दक्षिणार्ध कच्छ नामक विजय बतलाया गया है / वह उत्तर-दक्षिण लम्बा तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ा है। 82711 योजन लम्बा है. कुछ कम 2213 योजन चौड़ा है, पलंग के आकार में विद्यमान है। भगवन् ! दक्षिणार्ध कच्छ विजय का आकार, भाव, प्रत्यवतार किस प्रकार का बतलाया गया है ? गौतम ! वहाँ का भूमिभाग बहुत समतल एवं सुन्दर है। वह कृत्रिम, अकृत्रिम मणियों तथा तृणों आदि से सुशोभित है। भगवन् ! दक्षिणार्ध कच्छ विजय में मनुष्यों का प्राकार, भाव, प्रत्यवतार किस प्रकार का बतलाया गया है ? ___ गौतम ! वहाँ मनुष्य छह प्रकार के संहननों से युक्त होते हैं / अवशेष वर्णन पूर्ववत् है। भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में कच्छ विजय में वैताढय नामक पर्वत कहाँ है ? गौतम ! दक्षिणार्ध कच्छ विजय के उत्तर में, उत्तरार्ध कच्छ विजय के दक्षिण में, चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में तथा माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में कच्छ विजय के अन्तर्गत वैतादय नामक पर्वत बतलाया गया है, वह पूर्व-पश्चिम लम्बा है, उत्तर-दक्षिण चौडा है। वह दो ओर से वक्षस्कार-पर्वतों का स्पर्श करता है। (अपने पूर्वी किनारे से वह चित्रकूट नामक पूर्वी वक्षस्कार पर्वत का स्पर्श करता है तथा पश्चिमी किनारे से माल्यवान् नामक पश्चिमी वक्षस्कार पर्वत का स्पर्श करता है, वह भरत क्षेत्रवर्ती वैताढ्य पर्वत के सदृश है। अवक्रक्षेत्रवर्ती होने के कारण उसमें बाहाएँ, जीवा तथा धनुपृष्ठ-इन्हें न लिया जाए नहीं कहना चाहिए। कच्छादि विजय जितने चौड़े हैं, वह उतना लम्बा है। वह चौड़ाई, ऊँचाई एवं गहराई में भरतक्षेत्रवर्ती वैताढय पर्वत के समान है। विद्याधरों तथा आभियोग्य देवों की श्रेणियाँ भी उसी की ज्यों हैं। इतना अन्तर है-इसकी दक्षिणी श्रेणी में 55 तथा उत्तरी श्रेणी में 55 विद्याधर नगरावास कहे गये हैं / आभियोग्य श्रेण्यन्तर्गत, शीता महानदी के उत्तर में जो श्रेणियाँ हैं, वे ईशानदेव-द्वितीय कल्पेन्द्र की हैं, बाकी की श्रेणियाँ शक्र---प्रथम कल्पेन्द्र की हैं। वहाँ कूट-पर्वत-शिखर इस प्रकार हैं-१. सिद्धायतन कूट, 2. दक्षिणकच्छाध कूट, 3. खण्डप्रपातगुहा कूट, 4. माणिभद्र कूट, 5. वैताढ्य कूट, 6. पूर्णभद्र कूट, 7. तमिस्रगुहा कूट, 8. उत्तरार्धकच्छ कूट, 6. वैश्रवण कूट / भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में उत्तरार्ध कच्छ नामक विजय कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! वैताढ्य पर्वत के उत्तर में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, माल्यवान् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org