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________________ 224] [जम्बूद्वीपप्राप्तिसूत्र उसका तथा तद्गत शयनीय आदि का वर्णन पूर्वानुरूप है। बाकी की दिशाओं में भी भवन बतलाये गये हैं। __ जम्बू सुदर्शन के उत्तर-पूर्व-ईशान कोण में प्रथम वनखण्ड में पचास योजन की दूरी पर 1. पद्म, 2. पद्मप्रभा, 3. कुमुदा एवं 4. कुमुदप्रभा नामक चार पुष्करिणियाँ हैं। वे एक कोश लम्बी, आधा कोश चौड़ी तथा पाँच सौ धनुष भूमि में गहरी हैं। उनका विशेष वर्णन अन्यत्र है, वहाँ से ग्राह्य है। उनके बीच-बीच में उत्तम प्रासाद हैं / वे एक कोश लम्बे, प्राधा कोश चौड़े तथा कुछ कम एक कोश ऊँचे हैं / सम्बद्ध सामग्री सहित सिंहासन पर्यन्त उनका वर्णन पुर्वानुरूप है / इसी प्रकार बाकी की विदिशाओं में-आग्नेय, नैऋत्य तथा वायव्य कोण में भी पुष्करिणियाँ हैं। उनके नाम निम्नांकित हैं: 1. पद्मा, 2. पद्मप्रभा, 3. कुमुदा, 4. कुमुदप्रभा, 5. उत्पलगुल्मा, 6. नलिना, 7. उत्पला, 8. उत्पलोज्ज्वला, 6. भृगा, 10. भृगप्रभा, 11. अंजना, 12. कज्जलप्रभा, 13. श्रीकान्ता, 14. श्रीमहिता, 15. श्रीचन्द्रा तथा 16. श्रीनिलया। जम्बू के पूर्व दिग्वर्ती भवन के उत्तर में, उत्तर-पूर्व-ईशानकोणस्थित उत्तम प्रासाद के दक्षिण में एक कूट-पर्वत-शिखर बतलाया गया है। वह आठ योजन ऊँचा एवं दो योजन जमीन में गहरा है / वह मूल में पाठ योजन, बीच में छह योजन तथा ऊपर चार योजन लम्बा-चौड़ा है। उस शिखर की परिधि मूल में कुछ अधिक पच्चीस योजन, मध्य में कुछ अधिक अठारह योजन तथा ऊपर कुछ अधिक बारह योजन है / वह मूल में चौड़ा, बीच में संकड़ा और ऊपर पतला है, सर्व स्वर्णमम है, उज्ज्वल है / पद्मवरवेदिका एवं वनखण्ड का वर्णन पूर्वानुरूप है / इसी प्रकार अन्य शिखर हैं। जम्बू सुदर्शना के बारह नाम कहे गये हैं: 1. सुदर्शना, 2. अमोघा, 3. सुप्रबुद्धा, 4. यशोधरा, 5. विदेहजम्बू, 6. सौमनस्या, 7. नियता, 8. नित्यमण्डिता, 6. सुभद्रा, 10. विशाला, 11. सुजाता तथा 12. सुमना / जम्बू सुदर्शना पर पाठ-पाठ मांगलिक द्रव्य प्रस्थापित हैं। भगवन् ! इसका नाम जम्बू सुदर्शना किस कारण पड़ा ? गौतम ! वहाँ जम्बूद्वीपाधिपति, परम ऋद्धिशाली अनादत नामक देव अपने चार हजार सामानिक देवों, (चार सपरिवार अग्रमहिषियों-प्रधान देवियों, तीन परिषदों, सात सेनाओं, सात सेनापति-देवों तथा) सोलह हजार आत्मरक्षक देवों का, जम्बूद्वीप का, जम्बू सुदर्शना का, अनादृता नामक राजधानी का, अन्य अनेक देव-देवियों का आधिपत्य करता हुआ निवास करता है / गौतम ! इस कारण उसे जम्बू सुदर्शना कहा जाता है। अथवा गौतम ! जम्बू सुदर्शना नाम ध्रव, नियत, शाश्वत, अक्षय (अव्यय) तथा अवस्थित है। भगवन् ! अनादत नामक देव की अनादता नामक राजधानी कहाँ बतलाई गई है ? गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत मन्दर पर्वत के उत्तर में अनादृता राजधानी है। उसके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003486
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages480
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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