________________ 60 [जम्मूढोपप्राप्तिसूत्र 67. नालिका-खेल-चूत-विशेष, 68. पत्र-छेद्य-एक सौ पाठ पत्तों के बीच में विवक्षित संख्या के पत्ते के छेदन में हाथ की चतुराई, 66. कट-छेद्य-पर्वत-भूमि छेदन की कला, 70. सजीवकरण-मृत धातुओं को उनके स्वाभाविक स्वरूप में पहुँचाना, 71. निर्जीवकरण--स्वर्ण आदि धातुओं को मारना, पारद को मूच्छित करना, 72. शकुनिरुत--पक्षियों की बोली का ज्ञान, उससे शुभ-अशुभ शकुन की पहचान / स्त्रियों की 64 कलाओं का प्रस्तुत सूत्र में उल्लेख हुआ है / वे निम्नांकित हैं१. नृत्य 2. औचित्य 3. चित्र 4. वादित 5. मन्त्र 6. तन्त्र 7. ज्ञान 8. विज्ञान 6. दम्भ 10. जलस्तम्भ 11. गीत-मान 12. ताल-मान 13. मेघ-वृष्टि 14. जल-वृष्टि 15, पाराम-रोपण 16. आकार-गोपन 17. धर्म-विचार 18. शकुन-विचार 19. क्रिया-कल्प 20. संस्कृत-जल्प 21. प्रासाद-नीति 22. धर्म-रीति 23. वर्णिका-वृद्धि 24. स्वर्ण-सिद्धि 25. सुरभि-तैलकरण 26. लीला-संचरण 27. ह्य-गज-परीक्षण 28. पुरुष-स्त्री-लक्षण 26. हेम-रत्न-भेद 30. अष्टादश-लिपि-परिच्छेद 31. तत्काल-बुद्धि-प्रत्युत्पन्नमति 32. वास्तु-सिद्धि 33. काम-विक्रिया 34. वैद्यक-क्रिया 35. कुभ-भ्रम 36. सारिश्रम 37. अंजन-योग 38. चूर्ण-योग 36. हस्त-लाघव 40. वचन-पाटव 41. भोज्य-विधि 42. बाणिज्य-विधि 43. मुख-मंडन 44. शालि-खंडन 45. कथा-कथन 46. पुष्प-ग्रथन 47. वक्रोक्ति 48. काव्य-शक्ति 46. स्फारविधिवेश 50. सर्व-भाषा-विशेष 51. अभिधान-ज्ञान 52. भूषण-परिधान 53. भृत्योपचार 54. गृहोपचार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org