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## Tenth Extreme Position [23 760. In the atom, the third (unspeakable) destruction occurs. In the two-region skandha, the first (extreme) and third (speakable) destructions occur. In the three-region skandha, the first, third, ninth, and eleventh destructions occur. // 18 // In the four-region skandha, the first, third, ninth, tenth, eleventh, twelfth, and twenty-third destructions should be understood. // 186 // In the five-region skandha, the first, third, seventh, ninth, tenth, eleventh, twelfth, thirteenth, twenty-third, twenty-fourth, and twenty-fifth destructions should be known. // 187 // In the six-region skandha, except for the second, fourth, fifth, sixth, fifteenth, sixteenth, seventeenth, eighteenth, twentieth, twenty-first, and twenty-second, the remaining destructions occur. // 188 // In the seven-region skandha, except for the second, fourth, fifth, sixth, fifteenth, sixteenth, seventeenth, eighteenth, and twenty-second destructions, the remaining destructions occur. // 186 // In the remaining skandhas (from the eight-region to the countable-region, uncountable-region, and infinite-region skandhas), except for the second, fourth, fifth, sixth, fifteenth, sixteenth, seventeenth, and eighteenth destructions, the remaining destructions occur. // 160 // [Meaning of the 760 Sangrahani Gathas]
________________ दसवां चरमपद ] [23 760. परमाणुम्मि य ततिम्रो पढमो ततिमो य होति दुपदेसे / पढमो ततिम्रो नवमो एक्कारसमो य तिपदेसे // 18 // पढमो ततिनो नवमो दसमो एक्कारसो य बारसमो। भंगा चउप्पदेसे तेवीस इमो य बोद्धव्वो // 186 // पढमो ततिम्रो सत्तम नव दस एक्कार बार तेरसमो। तेवीस चउन्धीसो पणुवीसइमो य पंचमए // 187 // बि चउत्थ पंच छठें पणरस सोलं च सत्तरऽद्वारं / वीसेक्कवीस बावीसगं च वज्जेज्ज छट्टम्मि / / 188 // बि चउत्थ पंच छठें पण्णर सोलं च सत्तरऽद्वारं / बावीसइमविहूणा सत्तपदेसम्मि खंधम्मि // 186 // बि चउत्थ पंच छठें पण्णर सोलं च सत्तरऽद्वारं / एते वज्जिय भंगा सेसा सेसेसु खंधेसु // 160 // [760 संग्रहणीगाथाओं का अर्थ-] परमाणुपुद्गल में तृतीय (अवक्तव्य) भंग होता है। द्विप्रदेशी स्कन्ध में प्रथम (चरम) और तृतीय (प्रवक्तव्य) भंग होते हैं। त्रिप्रदेशी स्कन्ध में प्रथम, तीसरा, नौवाँ और ग्यारहवाँ भंग होता है। चतुःप्रदेशीस्कन्ध में पहला, तीसरा, नौवाँ, दसवाँ, ग्यारहवा बारहवाँ और तेईसवाँ भंग समझना चाहिए। पंचप्रदेशी स्कन्ध में प्रथम, तृतीय, सप्तम, नवम, दशम, एकादश, द्वादश, त्रयोदश, तेईसवाँ, चौवीसवां और पच्चीसवाँ भंग जानना चाहिए // 185, 186, 187 / / षट्प्रदेशी स्कन्ध में द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, छठा, पन्द्रहवाँ, सोलहवाँ, सत्रहवाँ, अठारहवाँ, बोसवाँ, इक्कीसवाँ और बाईसवाँ छोड़कर, शेष भंग होते हैं // 188 / / सप्तप्रदेशी स्कन्ध में दूसरे, चौथे, पाँचवें, छठे, पन्द्रहवें, सोलहवें, सत्रहवें, अठारहवें और बाईसवें भंग के सिवाय, शेष भंग होते हैं / / 186 // शेष सब स्कन्धों (अष्टप्रदेशी से लेकर संख्यातप्रदेशी, असंख्यातप्रदेशी और अनन्तप्रदेशी स्कन्धों) में दूसरा, चौथा, पांचवाँ, छठा, पन्द्रहवाँ, सोलहवाँ, सत्रहवा, अठारहवाँ, इन भंगों को छोड़कर, शेष भंग होते हैं / / 160 / / विवेचन–परमाणु से अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक की चरमाचरमादि संबन्धी वक्तव्यता--प्रस्तुत दस सूत्रों में परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशी से अष्टप्रदेशी स्कन्ध तथा संख्यात-असंख्यात-अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक के चरम, अचरम और अवक्तव्य भंगों की प्ररूपणा की गई है। बीस भंगों की अपेक्षा से चरम, अचरम और प्रवक्तव्य का बिचार-प्रस्तुत छन्वीस भंग इस प्रकार हैं--असंयोगी 6 भंग-१. चरम, 2. अचरम, 3. अवक्तव्य, (एकवचनान्त), (बहन चनान्त) 4. अनेक चरम, 5. अनेक अचरम, 6. अनेक अवक्तव्य / द्विकसंयोगी तीन चतुभंगी-१२ भंगप्रथम चतुभंगी-७. एक चरम और एक अचरम, 8. एक चरम-अनेक अचरम, 9. अनेक चरम-एक अचरम, 10. अनेक चरम–अनेक अचरम / द्वितीय चतुर्भगी-११. एक चरम--एक अवक्तव्य, 12. एक चरम-अनेक प्रवक्तव्य, 13. अनेक चरम–एक प्रवक्तव्य, 14. अनेक चरम-अनेक प्रवक्तव्य / तृतीय चतुभंगी-१५. एक अचरम—एक प्रवक्तव्य, 16. एक अचरम-अनेक अवक्तव्य, 17. अनेक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org