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[215 [230-4 Q. O Bhagavan! Among these tri-indriya paryapt and aparyapt jivas, who are less, more, equal or special? [230-4 A. Gautama! The tri-indriya paryapt are the fewest, and the tri-indriya aparyapt are countless times more. / [5] Q. O Bhagavan! Among these char-indriya paryapt and aparyapt jivas, who are less, more, equal or special? [230-5 A. Gautama! The char-indriya paryapt are the fewest, and the char-indriya aparyapt are countless times more. [6] Q. O Bhagavan! Among these panch-indriya paryapt and aparyapt jivas, who are less, more, equal or special? [230-6 A. Gautama! The panch-indriya paryapt are the fewest, and the panch-indriya aparyapt are countless times more. 231. Q. O Bhagavan! Among these sa-indriya, ek-indriya, dvi-indriya, tri-indriya, char-indriya and panch-indriya paryapt and aparyapt jivas, who are less, more, equal or special? [231 A. Gautama! 1. The char-indriya paryapt are the fewest. / 2. The panch-indriya paryapt are special. 3. The dvi-indriya paryapt are special. 4. The tri-indriya paryapt are special. / 5. The panch-indriya aparyapt are countless times more. / 6. The char-indriya
________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] [215 [230-4 प्र. भगवन् ! इन त्रीन्द्रिय पर्याप्तक और अपर्याप्तक जीवों कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [230-4 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े त्रीन्द्रिय पर्याप्तक हैं, (उनसे) त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं / [5] एतेसि णं भंते ! चरिदियाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया बा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा चरिदिया पज्जत्तगा, चरिंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा / [230-5 प्र.] भगवन् ! इन चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक और अपर्याप्तक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [230-5 उ.] गौतम ! सबसे थोड़े चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक हैं, (उनसे) चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं। [6] एएसि णं भंते ! पंचेंदियाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा बा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा पंचेंदिया पज्जत्तगा, पंचेंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा। [230-6 प्र.] भगवन् ! इन पर्याप्तक और अपर्याप्तक पंचेन्द्रिय जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?" [230-6 उ.] गौतम ! सबसे अल्प पर्याप्तक पंचेन्द्रिय जीव हैं, उनसे अपर्याप्तक पंचेन्द्रिय जीव असंख्यातगुणे हैं। 231. एएसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं दियाणं तेंदियाणं चरिदियाणं पंचेंदियाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा चउरिदिया पज्जत्तगा 1, पंचेंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया 2, बंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया 3, तेइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया 4, पंचेदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगणा 5, चरिदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया 6, तेइंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया 7, बेंदिया अपज्जत्तगा विसेसाहिया 8, एगेंदिया अपज्जत्तगा अणंतगुणा 6, सइंदिया अपज्जत्तगा बिसेसाहिया 10, एगिदिया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा 11, सइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया 12, सइंदिया विसेसाहिया 13 / दारं 3 // [231 प्र.] भगवन् ! इन सेन्द्रिय, एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय के पर्याप्तक और अपर्याप्तक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [231 उ.] गौतम ! 1. सबसे अल्प चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक हैं / 2. (उनसे) पंचेन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं। 3. (उनसे) द्वीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं। 4. (उनसे) त्रीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं / 5. (उनसे) पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं / 6. (उनसे) चतुरिन्द्रिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org