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[100.] "O Bhagavan! How many types of beings are there in the world?" "Gautama! There are six types, namely, those with earth bodies, water bodies, fire bodies, air bodies, ether bodies, and those with mixed bodies." "How many types of beings with earth bodies are there?" "There are two types of beings with earth bodies, namely, those with subtle earth bodies and those with gross earth bodies." "How many types of beings with subtle earth bodies are there?"
________________ तृतीय प्रतिपत्ति तिर्यग्योनिक अधिकार का द्वितीयोद्देशक तिर्यक्योनि अधिकार में प्रथम उद्देशक कहने के बाद क्रमप्राप्त द्वितीय उद्देशक का अवसर है। उसका आदि सूत्र इस प्रकार है * [100.] कइविहाणं भंते ! संसारसमावण्णगा जीवा पण्णता? गोयमा ! छम्बिहा पण्णता, तंजहा-पुढ विकाइया जाव तसकाइया। से कि तं पुढ विकाइया? पुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सुहमपुष्टविकाइया य बावरपुढविकाइया य / से कि तं सुहमपुढविकाइया? सुहमपुढविकाइया दुविहा पण्णता, तंजहा-पज्जत्तगा य अपज्जतगा य / से तं सुहमपुढ विकाइया। से कि तं बावरपुढविक्काइया ? बावरपुढविक्काइया दुविहा पण्णता, तंजहा–पज्जसगा य अपज्जत्तगा य / एवं जहा पण्णवणापये, सहा सत्तविहा पण्णता, खरा अणेगविहा पण्णत्ता, जाव असंखेज्जा, से तं बावरपुढविकाइया / से तं पुढविकाइया। एवं जहा पण्णवणापदे तहेव निरवसेसं भाणियध्वं जाव वणप्फइकाइया, एवं जाव जत्थेको तस्थ सिया संखेज्जा सिया असंखेज्जा सिया प्रणता। से तंबावरवणफइकाइया, से तं वणस्सइकाइया / से कि तं तसकाइया? तसकाइया चउबिहा पण्णता, तंजहा–बेइंदिया, तेइंदिया, परिविया, पंचिदिया / से किं तं बेइंदिया? बेइंदिया अणेगविधा पण्णत्ता, एवं जं चेव पण्णवणापदे तं व निरवसेसं भाणियव्वं जाव सम्वसिद्धगदेवा, से तं अणुत्तरोववाइया, से तं देवा, से तं पंचेंदिया, से तं तसकाइया / [100] हे भगवन् ! संसारसमापन्नक जीव कितने प्रकार के कहे गये हैं ? गौतम ! छह प्रकार के कहे गये हैं, यथा-पृथ्वीकायिक यावत् त्रसकायिक / पृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के हैं ? पृथ्वीकायिक जीव दो प्रकार के हैं-सूक्ष्मपृथ्वीकायिक और बादरपृथ्वीकायिक / सूक्ष्मपृथ्वीकायिक कितने प्रकार के हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org