________________ द्वितीय प्रतिपत्ति: नवविध अल्पबहुत्व] [185 ___ गोयमा ! अंतरदीवग-अकम्मभूमग मणुस्सित्थीओ मणुस्सपुरिसा य, एते गं दोवि तुल्ला सम्वत्थोवा, देवकुरु-उत्तरकुरु-अकम्मभूमग मस्सिस्थिओ पुरिसा य, एते णं दोवि तुल्ला संखेज्जगुणा, एवं हरिवास-रम्मगवास. अकम्मभूमग मणुस्सित्थाओ मणुस्सपुरिसा य एए णं दोवि तुल्ला संखेज्जगुणा, 'एव' हेमवय-हेरण्णवय-अकम्ममूमगमणुस्सित्थीओ मणुस्सयुरिसा य एए णं दोवि तुल्ला संखेज्जगुणा, भरहेरवय कम्मभूमग मणुस्सपुरिसा दोविसंखेज्जगुणा, भरहेरवय कम्मभूमिगमणुस्सिस्थिओ दोवि संखेज्जगुणाओ, पुग्धविदेह-अवर विदेह कम्मभूमक मणुस्सपुरिसा दोवि संखेज्जगुणा, पुम्वविवेह-अवरविदेह कम्मभूमक मणुस्सित्थियाओ दोवि संखेज्जगुणाओ, अणुत्तरोववाइय देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, उपरिमोविज्जा देवपुरिसा संखेज्जगुणा, जाव आणए कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा, अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असंखेज्जगुणा, छट्ठीए पुढवीए नेरइय नपुंसका असंखेज्जगुणा, सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, महासुक्के कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, पंचमाए पुढवीए नेरइयनपुंसका असंखेज्मगुणा, लंतए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, चउत्योए पुढवीए नेरइय नपुसका असंखेज्जगुणा, बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेन्जगुणा, तच्चए पुढवीए नेरइय गपुंसका असंखेज्जगुणा, माहिदे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, सणंकुमारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, वोच्चाए पुढवीए नेरइय नपुंसका असंखेज्जगुणा, अंतरवीवग-अकम्ममूमग मणुस्सनपुंसका असंखेज्जगुणा, वेवकुरु-उत्तरकुरु-अकम्मभूमग मणुस्सणपुसका दो वि संखेज्जगुणा एवं जाव विवेह ति, ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, ईसाणे कप्पे देविस्थियानो संखेज्जगुणा, सोहम्मे कप्पे देवपुरिसा संखेज्मगुणाओ, सोहम्मे कप्पे देविस्थियाओ संखेज्जगुणाओ, भवनवासि देवपुरिसा असंखेज्जगुणा, भवनवासि देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org