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[58] [Jivajivaabhigamsutra [19] What are the characteristics of the Bādar Vanaspathikāya? There are two types of Bādar Vanaspathikāya: Pratyekasharīra Bādar Vanaspathikāya and Sādhāraṇasharīra Bādar Vanaspathikāya. / 20. What are the Patteyaśarīra Bādar Vanaspathikāya? Patteyaśarīra Bādar Vanaspathikāya are of twelve types, such as: Rukkha, Guccha, Gumma, Latā, Valli, Pādhvagā, Tṛṇa, Valaya, Harita, Oushadhi, Jalaruha, and Kuhaṇā. // 1 // What is Rukkha? Rukkha is of two types: Ekaṭṭhiya and Bahubīyaga. / What is Ekaṭṭhiya? Ekaṭṭhiya is of many types, such as: Nimb, Prām, Jāmun, Yāvat Punāga Nāgavṛksha, Śrīparṇī, and Aśoka, and other similar trees. / These have countless living beings in their roots,
________________ 58] [जीवाजीवाभिगमसूत्र [19] बादर वनस्पतिकायिक क्या हैं--कैसे हैं ? बादर वनस्पतिकायिक दो प्रकार के कहे गये हैंजैसे-प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक और साधारणशरीर बादर वनस्पतिकायिक / 20. से कि तं पत्तेयसरीर बायरवणस्सइकाइया? पत्तेयसरीर वायरवणस्सइकाइया दुवालसविहा पण्णता, तंजहा-. रुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पध्वगा चेव / तण-वलय-हरित-ओसहि-जलरुह-कुहणा य बोद्धम्या // 1 // से कि तं रुक्खा ? रुक्खा दुविहा पण्णता, तं जहा-एट्ठिया य बहुबीया य / से कि तं एगट्टिया ? एगट्ठिया प्रणेगविहा पण्णत्ता, तं नहा--- निबंब जंबू जाव पुण्णागणागरुक्खे सीवण्णो तहा असोगे य / जे यावणे तहप्पगारा / एतेसि णं मूला वि असंखेन्मजीविया एवं कंदा, खंघा, तया, साला, पवाला, पत्ता पत्तेयजीवा, पुष्फाई अणेगजीवाई फला एगट्ठिया, से तं एगट्टिया। से किं तं बहुबोया? बहुबोया अणेगविधा पपणत्ता, तं जहा अस्थिय-तेंदुय-उंबर-कविट्ठ-प्रामलक-फणस-दाहिम गग्गोष-काउंबरी य तिलय-लउय-लोढे घवे, जे यावण्णे तहप्पगारा, एतेसि गं मूला वि प्रसंखेज्जजीविया जाव फला बहुबोयगा, से तं बहुबीयगा / से तं रुक्खा। एवं जहा पण्णवणाए तहा भाणियग्वं, जाव जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं कुहणा। नाणाविधसंठाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता। खंधो वि एगजीवो ताल-सरल-नालिएरोणं // 1 // 'जह सगलसरिसवाणं पत्तयसरीराणं' गाहा // 2 // 'जह वा तिलसक्कुलिया' गाहा // 3 // से तं पत्तयसरीरबायरवणस्सइकाइया / [20] प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक जीवों का स्वरूप क्या है ? प्रत्येकशरीर बादर बनस्पतिकायिक बारह प्रकार के हैंजैसे-वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता, वल्ली, पर्वग, तृण, वलय, हरित, औषधि, जलरुह और कुहण / वृक्ष किसे कहते हैं ? वक्ष दो प्रकार के हैं--एक बीज वाले और बहुत बीज बाले / एक बीज वाले कौन हैं? एक बीज वाले अनेक प्रकार के हैं, जैसे कि-नीम, प्राम, जामुन यावत् पुनाग नागवृक्ष, श्रीपर्णी तथा अशोक तथा और भी इसी प्रकार के अन्य वृक्ष / इनके मूल असंख्यात जीव वाले हैं, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org