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________________ तृतीय वर्ग ] [ 26 एवं समान त्वचा वाली, समान लावण्य, रूप, यौवन तथा गुणों वाली, समान इभ्यकुलों से लाई हुई) वत्तीस उत्तम इभ्य-कन्याओं का एक ही दिन पाणिग्रहण कराया। विवाह के अनन्तर वह नाग गाथापति अनीयस कुमार को प्रीतिदान देते समय बत्तीस करोड़ चांदी के सिक्के तथा महाबल कमार की तरह अन्य बत्तीस प्रकार की अनेकों वस्तुएं यावत बत्तीस कोटि सोनये, बत्तीस श्रेष्ठ मुकुट, वत्तीस श्रेष्ठ कुडलयुगल, बत्तीस उत्तम हार, बत्तीस उत्तम अर्द्ध हार, बत्तीस उत्तम एकसरा हार, बत्तीस मुक्तावली हार, बत्तीस कनकावली हार, बत्तीस रत्नावली हार, बत्तीस उत्तम कड़ों की जोड़ी, बत्तीस उत्तम त्रुटित (बाजूबन्द) की जोड़ी, बत्तीस उत्तम रेशमी वस्त्रयुगल, बत्तीस पट्टयुगल, बत्तीस दूकल युगल, बत्तीस श्री, बत्तीस ह्री, बत्तीस थी, बत्तीस कीति, वत्तीस बुद्धि और बत्तीस लक्ष्मी देवियों की प्रतिमा, बत्तीस नन्द, बत्तीस भद्र, बत्तीस तल-ताड़वृक्ष दिए। ये सब रत्नमय जानने चाहिए। अपने भवन में केतु, बत्तीस उत्तम ध्वज, दश हजार गायों के एक व्रज (गोकुल) के हिसाब से बत्तीस उत्तम गोकुल, बत्तीस मनुष्यों द्वारा किया जाने वाला एक नाटक होता है—ऐसे बत्तीस उत्तम नाटक, बत्तीस उत्तम घोड़े (ये सब रत्नमय जानने चाहिए), भाण्डागार समान बत्तीस रत्नमय उत्तमोत्तम हाथी, भाण्डागार, श्रीधर समान सर्व रत्नमय बत्तीस उत्तम यान, बत्तीस उत्तम युग्य (एक प्रकार का वाहन) बत्तीस शिविका, बत्तीस स्यन्दमानिका, बत्तीस गिल्ली (हाथी की अम्बाडी), बत्तीस थिल्लि (घोड़े का पलाण-काठी), बत्तीस उत्तम विकट (खुले हुए) यान, बत्तीस पारियानिक (क्रीडा करने के) रथ, बत्तीस उत्तम अश्व, बत्तीस उत्तम हाथी, दस हजार कुल-परिवार जिसमें रहते हों ऐसे बत्तीस गाँव, बत्तीस उत्तम दास, बत्तीस उत्तम दासियाँ, बत्तीस उत्तम किकर, बत्तीस कंचकी (द्वाररक्षक) बत्तीस वर्षधर (अन्तःपुर के रक्षक खोजा), वत्तीस महत्तरक (अन्तःपुर के कार्य का विचार करने वाले) बत्तीस सोने के, बत्तीस चाँदी के और बत्तीस सोने-चांदी के अवलम्बन दीपक (लटकने वाले दीपक-हण्डियाँ), बत्तीस सोने के वत्तीस चाँदी के, बत्तीस सोना-चांदी के उत्कञ्चन दीपक-दण्डयुक्त दीपक मशाल) इसी प्रकार सोना, चाँदी और सोना-चाँदी के इन तीनों प्रकार के वत्तीस पञ्जर दीपक / सोना, चाँदी, और सोना-चाँदी के वत्तीस थाल, बत्तीस थालियाँ, बत्तीस मल्लक (कटोरे) बत्तीस तालिका (रकावियाँ) बत्तीस कलाचिका, (चम्मच), बत्तीस तापिका-हस्तक (संडासियाँ) बत्तीस तवे, बत्तीस पादपीठ (पैर रखने के बाजोठ) बत्तीस भिषिका (ग्रासनविशेष) बत्तीस करोटिका (लोटा), बत्तीस पलंग, बत्तीस प्रतिशय्या (छोटे पलंग), बत्तीस हंसासन, बत्तीस क्रौंचासन, बत्तीस गरुडासन, बत्तीस उन्नतासन, बत्तीस अवनतासन, बत्तीस दोर्धासन, बत्तीस भद्रासन, बत्तीस पक्षासन, बत्तीस मकरासन, बत्तीस पद्मासन, बत्तीस दिक्स्वस्तिकासन, बत्तीस तेल के डिब्बे इत्यादि सभी राजप्रश्नीय सूत्र के अनुसार जानना चाहिए यावत बत्तीस सर्षप के डिब्बे, बत्तीस कब्जा दासियाँ इत्यादि सभी औपपातिक सत्र के अनसार जानना चाहिये, यावत् बत्तीस पारस देश की दासियाँ, बत्तीस छत्र, बत्तीस छत्र-धारिणी दासियाँ, बत्तीस चामर, बत्तीस चामर-धारिणी दासियाँ, बत्तीस पंखे, बत्तीस पंखा-धारिणी दासियाँ, बत्तीस करोटिका (ताम्बूल के करण्डिये) बत्तीस करोटिका-धारिणी दासियाँ, बत्तीस धात्रियाँ (दूध पिलाने वाली धाय), यावत् बत्तीस अंक-धात्रियाँ, बत्तीस अंगर्दिका (शरीर का मर्दन करने वाली दासियाँ) बत्तीस स्नान करानेवाली दासियाँ, बत्तीस अलंकार पहनाने वाली दासियाँ, बत्तीस चन्दन घिसने वाली दासियाँ, बत्तीस ताम्बूल-चूर्ण पीसने वाली, बत्तीस कोष्ठागार की रक्षा करने बाली, बत्तीस परिहास करने वाली, बत्तीस सभा में पास रहने वाली, बत्तीस नाटक करने वाली, बत्तीस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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