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________________ 28] [ अन्तकृद्दशा पउमासणाई बत्तीस दिसासोवत्थियासणाई बत्तीस तेल्लसमग्गे, जहा रायप्पसेणइज्जे, जाव बत्तीस सरिसवसमग्गे, बत्तीस खुज्जायो, जहा उववाइए, जाव बत्तीस पारिसीओ, बत्तीस छत्ते, बत्तीस छत्तधारीओ चेडीमो, बत्तीस चामरायो, बत्तीस चामरधारीयो चेडीग्रो, बत्तीस तालियंटधारीयो चेडीग्रो, बत्तीस करोडियानो, बत्तीस करोडियाधारीओ चेडीमो, बत्तीस खीरधाईप्रो, जाव बत्तीस अंकधाईप्रो बत्तीस अंगमडियामो, बत्तीस उम्मट्टियायो, बत्तीस महावियाग्रो, बत्तीस पसाहियानो बत्तीसवण्णगपेसीयो, बत्तीस चुण्णगयेसीयो, बत्तीस कोट्ठागारीयो, बत्तीस दवकारीलो, बत्तीस उवत्थाणियानो, बत्तीस गाडइज्जाओ, बत्तीस केडुबिणीओ, बत्तीस महाणसिणीओ, बत्तीस भंडागारिणीयो, बत्तीस अज्झाधारिणीप्रो, बत्तीसपुष्कधारिणीयो, बत्तीस पाणीधारिणीओ, बत्तीस बलिकारीयो, बत्तीस सेज्जाकारीयो, बत्तीस अभितरियानो पडिहारीयो, बत्तीस बाहिरियानो पडिहारीयो, बत्तीस मालाकारोमो, बत्तीस पेसणकारीओ, अण्णं वा सुबहुं हिरणं वा सुवण्णं वा कंस वा दूसंवा विउलधण-कणग० जाव संतसारसावएज्जं, अलाहि जाव पासत्तमानो कुलवंसानो पकामं दाउं, पकामं भोत्तु, पकामं परिभाएउ / तए णं से अणीयसे कुमारे एगमेगाए भज्जाए एगमेगं हिरण्णकोडि दलयइ, एगमेगं सुवण्णकोडि दलयइ, एगमेगं मउडं मउड़प्पवरं दलयइ, एवं तं चेव सव्वं जाव एगमेगं पेसणकारि दलयइ, अण्णं वा सुबहुं हिरण्णं वा जाव परिभाएउ तए णं से अणीयसकुमारे उष्पि पासायवरगए] फुट्टमाणेहि मुइंगमस्थरहि भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिनेमी, जाव [सामी ] समोसढे, सिरिवणे उज्जाणे / प्रहा जाव पडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ / परिसा निग्गया। ___तए णं तस्स प्रणीयसस्स तं महा० (जणसदं च जणकलकलं च सुणेत्ता पासेत्ता य इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पथिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था) जहा गोयमे तहा अणगारे जाए नवरंसामाइयमाइयाई चउद्दस पुवाई अहिज्जइ। बीस वासाई पारियाओ। सेस तहेव जावसेतु जे पव्वए मासियाए संलेहणाए जाव सिद्ध / __ एवं खलु जंबू ! सनणेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स बग्गस्स पढमस्स प्रज्झयणस्स अयमठे पण्णत्त / 2-6 अज्झयणाणि एवं जहा अणीयसे एवं सेसा वि अणंतसेणो जाव सत्त सेणे छ अज्झयणा एक्कगमा / बत्तीसप्रो दाओ। वीस वासाई पारियानो, चउद्दस पुन्वाइं अहिज्जइ / सेत्तुजे सिद्धा। तब माता-पिता ने अनीयस कुमार को बाल्यावस्था से पार हुया जानकर समान, (समान वय 1. पू. आत्मारामजी म. सा., एम. सी. मोदी तथा भावनगर से प्रकाशित पाठों में "जहा जाव विहरइ" पाठ है। किन्तु 'जहा' की अपेक्षा 'अहा' पाठ अधिक उपयुक्त होने से यहां 'प्रहा' का ही उपयोग किया गया है। 2-3. प्रथम वर्ग सूत्र 9 / 4. तृतीय वर्ग, सूत्र 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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