________________ परिशिष्ट-२] 3. उदय गिरि 4. सुवर्ण गिरि 5. रत्न गिरि महाभारत में पांच पर्वतों के नाम ये हैं-व भार, वाराह, वृषभ, ऋषि गिरि और चैत्यक / वायुपुराण में भी पांच पर्वतों का उल्लेख मिलता है। जैसे-वैभार, विपुल, रत्नकूट, गिरिव्रज और रत्नाचल। भगवती सूत्र के शतक 2 उद्देश 5 में राजगह के वैभार पर्वत के नीचे महातपोपतीरप्रभव नाम के उष्णजलमय प्रस्रवण-निर्भर का उल्लेख है। यह निर्भर अाज भी विद्यमान है। बौद्ध गन्थों में इस निर्भर का नाम 'तपादे' मिलता है जो सम्भवतः 'तप्तोदक' से बना होगा। चीनी यात्री फाहियान ने भी इसको देखा था। (13) सहस्राम्रवन उद्यान :-- आगमों में इस उद्यान का प्रचुर उल्लेख मिलता है। काकन्दी नगरी के बाहर भी इसी नाम का एक सुन्दर उद्यान था, जहां पर धन्यकुमार और सुनक्षत्रकुमार की दीक्षा हुई थी। .सहस्राम्रवन का उल्लेख निम्नलिखित नगरों के बाहर भी आता है१. काकन्दी के बाहर 2. गिरनार पर्वत पर 3. काम्पिल्य नगर के बाहर 4. पाण्डु मथुरा के बाहर 5. मिथिला नगरी के बाहर 6. हस्तिनापुर के बाहर-आदि / (14) साकेत: भारत का एक प्राचीन नगर / यह कोशल देश की राजधानी था। प्राचार्य हेमचन्द्र ने साकेत, कोशल और अयोध्या-इन तीनों को एक ही कहा है। साकेत के समीप ही "उत्तरकुरु" नाम का एक सुन्दर उद्यान था, उसमें "पाशामृग" नाम का एक यक्षायतन था। साकेत नगर के राजा का नाम मित्रनन्दी और रानी का नाम श्रीकान्ता था। __ "वर्तमान में फैजाबाद जिला में फैजाबाद से पूर्वोत्तर छह मील पर सरयू नदी के दक्षिणी तट पर स्थित वर्तमान अयोध्या के समीप ही प्राचीन साकेत होगा।" (15) श्रावस्ती : यह कौशल राज्य की राजधानी थी / आधुनिक विद्वानों ने इसकी पहचान सहेर-महेर से को है / सहेर गोंडा जिले में है और महेर बहराईच जिले में / महेर उत्तर में है और सहेर दक्षिण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org