________________ 204] | अन्तकृद्दशा में।' यह स्थान उत्तर-पूर्वीय रेलवे के वलरामपुर स्टेशन से जो सड़क जाती है, उससे दस मील दूर है / बहराईच से वह 26 मील पर अवस्थित है। विद्वान बी० स्मिथ के अभिमतानुसार श्रावस्ती नेपाल देश के खजरा प्रान्त में है और वह बालपुर की उत्तर दिशा में तथा नेपालगंज के सन्निकट उत्तर पूर्वीय दिशा में है। युआन चुआङग ने श्रावस्ती को जनपद माना है और उसका विस्तार छह हजार ली, उसकी राजधानी को 'प्रासादनगर' कहा है, जिसका विस्तार बीस ली माना है। जैन दृष्टि से यह नगरी अचिरावती (राप्ती) नदी के किनारे बसी थी। जिसमें बहुत कम पानी रहता था, जिसे पार कर जैन श्रमण भिक्षा के लिए जाते थे। कभी-कभी उसमें बहुत तेज बाढ़ भी आ जाती थी। श्रावस्ती बौद्ध और जैन संस्कृति का केन्द्रस्थान रहा है। केशी और गौतम का ऐतिहासिक संवाद वहीं हुआ।' अनेक ऐतिहासिक प्रसंग उस भूमि से जुड़े हुए हैं। भगवान् महावीर ने छद्मस्थावस्था में दसवाँ चातुर्मास वहां पर किया था। केवलज्ञान होने पर भी वे अनेक बार वहाँ पर पधारे थे और सैकड़ों व्यक्तियों को प्रव्रज्या प्रदान की थी और हजारों को उपासक बनाया था / श्रावस्ती के कोष्ठकोद्यान में गोशलक ने तेजोलेश्या से सुनक्षत्र और सर्वानुभूति मुनियों को मारा था और भगवान् महावीर पर भी तेजोलेश्या प्रक्षिप्त की थी। गोशलक का परम उपासक अयंपुल व हालाहला कुभारिन यहीं के रहने वाले थे / 1. दी एन्शियण्ट ज्योग्राफी ऑफ इंडिया, प्र, 469-474 2. जर्नल ऑफ रॉयल एशियाटिक सोसायटी, भाग 1, जन. 1900 3. युमान चुग्राङ गस् ट्रेवेल्स इन इंडिया, भाग 1 पृ, 377 4. (क) कल्पसूत्र (ख) बृहत्कल्प सूत्र, 4 // 33. (ग) वहत्कल्प भाष्य, 415639, 5653, 5. (क) अावश्यक चूणि, पृ. 601 (ख) अावश्यक हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. 465. (ग) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति, पृ. 567 (घ) टोनी का कथाकोश, पृ. 6. 6. उत्तराध्ययन 7. देखिए-प्रस्तुत ग्रन्थ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org