________________ 188] [ अन्तकृद्दशा जमालि के माता-पिता उसको उसके संकल्प से हटा नहीं सके। अपनी पाठ पत्नियों का त्याग करके उसने पाँच-सौ क्षत्रिय कुमारों के साथ भगवान् के पास दीक्षा ली। जमालि ने भगवान् के सिद्धान्त-विरुद्ध प्ररूपणा की थी। (7) जितशत्रुराजा शत्रुको जीतने वाला / जिस प्रकार बौद्ध जातकों में प्रायः ब्रह्मदत्त राजा का नाम आता है, उसी प्रकार जैन-ग्रन्थों में प्रायः जितशत्रु राजा का नाम आता है / जितशत्रु के साथ प्रायः धारिणी का भी नाम आता है। किसी भी कथा के प्रारम्भ में किसी न किसी राजा का नाम बतलाना, कथाकारों की पुरातन पद्धति रही है। इस नाम का भले ही कोई राजा न भी हो, तथापि कथाकार अपनी कथा के प्रारम्भ में इस नाम का उपयोग करता है। वैसे जैन-साहित्य के कथा-ग्रन्थों ने जितशत्रु राजा का उल्लेख बहुत प्राता है। निम्नलिखित नगरों के राजा का नाम जितशत्रु बताया गया हैनगर राजा 1. वाणिज्य ग्राम जितशत्र 2. चम्पा नगरी 3. उज्जयनी 4. सर्वतोभद्र नगर 5. मिथिला नगरी 6. पांचाल देश 7. ग्रामलकल्पा नगरी 8. सावत्थी नगरी 6. वारणारसी नगरी 10. पालभिया नगरी 11. पोलासपुर (8) धारिणी देवी श्रेणिक राजा की पटरानी थी। धारिणी का उल्लेख अागमों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। संस्कृत साहित्य के नाटकों में प्रायः राजा की सबसे बडी रानी के नाम के आगे 'देवी' विशेषण लगाया जाता है, जिसका अर्थ होता है रानियों में सबसे बड़ी अभिषिक्त रानी, अर्थात्-पटरानो। राजा श्रेणिक के अनेक रानियां थीं, उनमें धारिणी मुख्य थी / इसीलिए धारिणी के आगे 'देवी' विशेषण लगाया गया है / देवी का अर्थ है-पूज्या / मेघकुमार इसी धारिणी देवी का पुत्र था, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ग्रहण की थी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org